नई दिल्ली (एजेंसी). चीन में कोरोनावायरस (Coronavirus) से अब तक 259 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 12 हजार के करीब चीनी नागरिक इस वायरस से संक्रमित हैं. अब चीन के सामने सबसे बड़ी दिक्कत है मास्क की कमी, जो वहां के लोगों को वायरस के संक्रमण से बचाने में बाधा बन रही है. मास्क का उपयोग अन्य लोगों को संक्रमण से बचाव में मददगार है.
चीन के पास अभी उस मास्क की कमी है जिस मास्क के जरिए इस वायरस से बचा जा सकता है. इस मास्क का नाम है एन-95 (N-95). चीन ने भारतीय कंपनियों से इस मास्क की सप्लाई बढ़ाने की मांग की है. आइए जानते हैं कि आखिर इस मास्क की इतनी मांग क्यों है? क्यों कोई और मास्क की मांग नहीं की जा रही है?
सिंगल लेयर – डॉक्टरों की माने तो सबसे ज्यादा इसी मास्क का उपयोग होता है. इसका उपयोग ज्यादातर लोग प्रदूषण से बचने के लिए करते हैं. लेकिन यह बहुत प्रभावी नहीं होता. यह पीएम 10 या पीएम 2.5 से नहीं बचा पाता. सिर्फ धूल के बड़े कणों को कुछ हद तक रोकता है. यह 25 से 100 रुपये तक आता है. इसकी रीयूजेबल और डिस्पोजेबल दोनों किस्में मिलती हैं.
ट्रिपल लेयर – हल्के प्रदूषण से बचने में यह मास्क कुछ कारगर है. हालांकि, इससे भी 20% से 30%ही बचाव होता है. तीन लेयर होने से यह पीएम 10 को रोकने में कामयाब रहता है. इसकी कीमत 100 से 800 रुपये तक है. इसे आप धुलकर दोबारा उपयोग में ले सकते हैं.
सिक्स लेयर – यह प्रदूषण से काफी ज्यादा बचाता है. लेकिन इससे भी बचाव सिर्फ 80% ही होता है. यह काफी हद तक पीएम 10 के अलावा पीएम 2.5 से बचाता है. यह 200 से 1000 रुपये तक मिलता है. यह भी वॉशेबल होता है.
N-95 मास्क – मेडिकल विशेषज्ञों की माने तो यह सबसे सुरक्षित मास्क है. यह पीएम 2.5 से भी बचाता है. यह 500 से 1500 रुपये के बीच आता है. इस मास्क के साथ एक ही दिक्कत होती है कि यह काफी टाइट होता है. इसे हमेशा पहले रहना मुश्किल होता है. केरल में निपाह वायरस फैलने के दौरान भी N-95 मास्क का इस्तेमाल किया गया था. यह 95 फीसदी प्रदूषण से बचाता है. जबकि, N-99 मास्क आपको 99 फीसदी सुरक्षा प्रदान करता है. इन मास्क की कीमत 1000 रुपये से ऊपर होती है.
जब प्रदूषण बढ़ता है या बीमारी फैलती है तब लोग कई तरह के मास्क खोजते हैं. जैसे – N-95, N-99, P-95, R-95 या Surgical Mask. इस तरह के मास्क में N का मतलब होता है Not Oil Resistant. यानी इससे आप हवा में घुले पार्टिकुलेट से बच सकते हैं लेकिन तैलीय प्रदूषण से नहीं.