‘चार दिन की चांदनी होती है, टेस्ट मैच नहीं’ -वीरेंद्र सहवाग

नई दिल्ली (एजेंसी). टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) ने टेस्ट मैच को पांच की जगह चार दिन का करने के प्रस्ताव पर अपने तरीके से कटाक्ष करते हुए कहा कि जिस तरह से ‘मछली को अगर जल से निकाला जाए तो वह मर जाएगी’ उसी तरह टेस्ट में नयापन लाने का मतलब यह नहीं कि उसकी आत्मा से छेड़छाड़ की जाए। बीसीसीआई  पुरस्कार समारोह में रविवार को सहवाग ने कहा, ‘एमएके पटौदी स्मारक व्याख्यान’ में हिन्दी मुहावरों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि खेल के सबसे लंबे प्रारूप में नयापन लाना दिन-रात्रि टेस्ट मैच तक सीमित रखना चाहिए। सहवाग ने अपने तरीके से कहा, ‘चार दिन की चांदनी होती है, टेस्ट मैच नहीं…जल की मछली जल में अच्छी है, बाहर निकालों तो मर जाएगी।’

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उन्होंने कहा, ‘टेस्ट क्रिकेट को चंदा मामा के पास ले जा सकते हैं। हम दिन-रात्रि टेस्ट खेल रहे हैं, लोग शायद आफिस के बाद मैच को देखने के लिए आए। नयापन आना चाहिए लेकिन पांच दिन में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।’ आईसीसी टेस्ट क्रिकेट को चार दिन का करने का प्रस्ताव ला रहा है जिस पर मार्च में क्रिकेट समिति की बैठक में चर्चा होगी। इसकी हालांकि विराट कोहली, सचिन तेंडुलकर, रवि शास्त्री, रिकी पॉन्टिंग और इयान बॉथम जैसे मौजूदा और पूर्व शीर्ष खिलाड़ियों ने आलोचना की है।

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सहवाग ने पांच दिवसीय टेस्ट को रोमांस का तरीका करार देते हुए कहा कि इंतजार करना इस प्रारूप की खूबसूरती है। उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा बदलाव को स्वीकार किया है लेकिन पांच दिवसीय टेस्ट मैच एक रोमांस है जहां गेंदबाज बल्लेबाज को आउट करने के लिए योजना बनाता है, बल्लेबाज हर गेंद को कैसे मारूं यह सोचता है और स्लिप में खड़ा क्षेत्ररक्षक गेंद का ऐसे इंतजार करता है जैसे प्यार में खड़ा लड़का सामने से हां का इंतजार करता है, सारा दिन इंतजार करता है कि कब गेंद उसके हाथ में आएगी और कब वो लपकेगा।’

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इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने हालांकि कहा कि टेस्ट क्रिकेट में थोड़ा नयापन जरूर आना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जर्सी के पीछे अंक लिखने का प्रयोग अपनी जगह ठीक है लेकिन डायपर और टेस्ट क्रिकेट तभी बदलने चाहिए जब वे खराब हो। मुझे नहीं लगता कि टेस्ट क्रिकेट खराब है। इसलिए ज्यादा बदलाव की आवश्यकता नहीं है। मैं कहूंगा कि टेस्ट क्रिकेट 143 साल पुराना हट्टा-कट्टा आदमी है और आज की भारतीय टीम की तरह फिट है, उसमें एक आत्मा है और इस आत्मा की उम्र किसी भी कीमत पर छोटी नहीं होनी चाहिए। वैसे चार दिन की चांदनी होती है टेस्ट मैच नहीं।’ उन्होंने कहा कि इस प्रारूप में लगातार नतीजे निकले हैं और ड्रॉ मैचों को देखते हुए प्रारूप में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।

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