नई दिल्ली (एजेंसी). Covaxin (कोवाक्सिन): भारत की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन Covaxin (कोवाक्सिन) का दिल्ली के एम्स में ह्यूमन ट्रायल चल रहा है. ट्रायल में शामिल होने वाले 20 फीसदी वॉलंटियर्स में एंटीबॉडी पाया गया है. इस वजह से अब ये वॉलंटियर्स ट्रायल के लिए अयोग्य हो गए. दरअसल, ट्रायल में उन लोगों को ही शामिल किया जाता है जिन्हें कोई और रोग नहीं है, जो कोविड-19 से पीड़ित नहीं रहे हैं और जिनकी उम्र 18 से 55 साल से बीच है.एम्स में 80 से ज्यादा वॉलंटियर्स के सेहत की जांच की गई, लेकिन इनमें से सिर्फ 16 लोगों को ट्रायल के लिए चुना गया. वैक्सीन की पहली खुराक दिए जाने के बाद इनकी कम से कम दो हफ्ते तक निगरानी की जाएगी.
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Covaxin ह्यूमन ट्रायल पर एम्स के एक सीनियर डॉक्टर का कहना है कि ट्रायल में सिर्फ स्वस्थ वॉलंटियर्स को ही शामिल किया जाता है. लेकिन ऐसे लोगों की संख्या कम है. करीब 20 फीसदी वॉलंटियर्स में एंटीबॉडी पाए गए हैं. इसका मतलब है कि वे पहले ही संक्रमित हो चुके हैं. कुछ लोगों को हार्ट और डायबिटीज की समस्या है. अगर व्यक्ति पहले संक्रमित हो चुका है तो उसपर वैक्सीन का अध्ययन करना मुश्किल है.
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Covaxin को हैदराबाद की भारत बायोटेक ने आईसीएमआर तथा राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर विकसित किया है. इसके मानव परीक्षण की मंजूरी भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने हाल में दी थी. कोवाक्सिन के ह्यूमन ट्रायल पर पहले और दूसरे चरण के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने दिल्ली स्थित एम्स समेत 12 संस्थानों का चयन किया है. पहले चरण में टीके का 375 लोगों पर परीक्षण किया जाएगा जिनमें से अधिकतम 100 लोग एम्स से हैं. 24 जुलाई को एक 30 साल के पुरुष को कोवाक्सिन की पहली खुराक दी गई थी.
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