नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत की ओर से अंतरिक्ष में चलाए गए ऑपरेशन ‘मिशन शक्ति’ की सफलता पर हर कोई गर्व महसूस कर रहा है। लेकिन यह मिशन इतना भी आसान नहीं रहा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन जी. एस. रेड्डी का कहना है कि इस मिशन के लिए पिछले 6 महीने से मिशन मोड में काम चल रहा था, जबकि पिछले दो साल पहले ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया था।
न्यूज़ एजेंसी ANI से बात करते हुए उन्होंने बताया कि 6 महीने से करीब 100 से अधिक वैज्ञानिक लगातार इस पर काम रहे थे और लॉन्च की ओर आगे बढ़ रहे थे। जी. एस. रेड्डी के मुताबिक, वह लगातार इस प्रोजेक्ट पर काम कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल को रिपोर्ट कर रहे थे। अजित डोभाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके बारे में पूरी जानकारी दे रहे थे।
इस मिशन पर काफी समय पहले ही काम शुरू हो गया था। उन्होंने बताया कि हमने अपने टारगेट को ‘काइनेटिक किल’ यानी सीधा सैटेलाइट को ही हिट किया था। जी. एस. रेड्डी ने बताया कि इसके लिए कई टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल किया गया और सभी भारत में ही डेवलेप हुई थीं, जो पूरी तरह सफल साबित हुआ।
A-SAT मिसाइल के बारे में जानकारी देते हुए जी. एस. रेड्डी ने कहा कि ये मिसाइल लो अर्थ ऑर्बिट यानी LEO सैटेलाइट को टारगेट बनाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि हमारे पास इससे बड़े लक्ष्य को हासिल करने की भी ताकत है, लेकिन हमने पहले LEO को टारगेट बनाने की ठानी क्योंकि हम किसी भी अन्य देश को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे।
आपको बता दें कि इस प्रकार की उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बना है। इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस के पास ही ये ताकत थी। खास बात ये भी रही कि चीन ने जब ऐसा परीक्षण किया था तो पूरी दुनिया ने उसकी आलोचना की थी, लेकिन भारत के इस परीक्षण के करने पर कोई भी बड़ा देश हमारे खिलाफ नहीं खड़ा हुआ।