नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत ने आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के हर दावों की बखिया उधेड़ दी। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने ‘राइट टू रिप्लाई’ के तहत इमरान खान के भड़काऊ बयान का जवाब दिया। विदिशा मैत्रा ने कहा, “क्या पाकिस्तान यह स्वीकार करेगा कि यह (पाकिस्तान) दुनिया की एकमात्र सरकार है जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित अल-कायदा और अन्य आतंकियों को पेंशन देती है?” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने यूएन के मंच का दुरुपयोग किया और गुमराह करने की कोशिश की मैत्रा ने कहा कि पाकिस्तान ने खुलेआम आतंकी ओसामा बिन लादेन का बचाव किया था।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भाषण दिया। अपने 50 मिनट के भाषण में खान ने भारत की एक गलत और मनगढ़त छवि पेश करने की कोशिश की। जिससे कि अतंरराष्ट्रीय बिरादरी को गुमराह किया जा सके। इसका शनिवार को विदेश मंत्रालय की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने करारा जवाब दिया।
मैत्रा ने कहा, ‘मानवाधिकार की बात करने वाले पाकिस्तान को सबसे पहले पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत देखनी चाहिए जिनकी संख्या 23 प्रतिशत से 3 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वहां ईसाई, सिख, अहमदिया, हिंदू, शिया, पश्तून, सिंधी और बलोच पर सख्त ईशनिंदा कानून लागू किए जाते हैं, उनका उत्पीड़न और जबरन धर्मांतरण किया जाता है। पाकिस्तान को इतिहास नहीं भूलना चाहिए और याद रखना चाहिए कि 1971 में उसने अपने ही लोगों का नरसंहार किया था।’
उन्होंने कहा, ‘बंदूके उठा लेना मध्यकालीन मानसिकता को दिखाता है न की 21वीं सदी की। कभी क्रिकेटर रहे इमरान खान जो जेंटलमैन के गेम की बात करते थे, आज बंदूकें उठाने और युद्ध की बात करते हैं। भारत के नागरिक नहीं चाहते कि कोई और उनकी तरफ से बोले। खासतौर से वह जिसने नफरत की सोच के साथ आतंकवाद की इंडस्ट्री बनाई है। ऐसा देश जो आतंकवाद और नफरत को मुख्यधारा में शामिल कर चुका है वो अब मानवाधिकारों का चैम्पियन बनकर अपने वाइल्डकार्ड इस्तेमाल करना चाहता है।’