नई दिल्ली(एजेंसी): ब्रह्मांड में हमारे ग्रह के सबसे नजदीकी ग्रह मंगल पर तरल की अवस्था में जल है या नहीं इस पर सालों से बहस चलती आ रही है और अब लगता है कि इस लाल ग्रह पर पानी की मौजूदगी होने की उम्मीद को बल मिल गया है.
सोमवार को प्रकाशित एक खगोलीय जर्नल में इस बात का संकेत मिलता है कि मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर दबे हुए काफी खारे पानी के जलाश्य हैं जो पानी की मौजूदगी की संभावनाओं को और पक्का करते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह की झील से इस संभावना में काफी सुधार होगा कि मंगल ग्रह पर सूक्ष्म जीवन की मौजूदगी हो सकती है.
कुछ वैज्ञानिक अभी भी इस बात से सहमत नहीं हैं कि पानी के नाम पर जो मिला वो कितना प्रभावी है लेकिन ताजा रिसर्च ने इस बात को और बल दिया है कि मंगल ग्रह पर साल 2018 में भेजे गए मार्स एक्सप्रेस रोबोट आर्बिटर ने राडार मैप्स के जरिए जो खाका खींचा था वो सही था.
उस रिसर्च में कहा गया है कि मंगल ग्रह पर तरल पानी की एक भूमिगत “झील” दक्षिणी ध्रुव के पास तलछट की जमी हुई परतों के नीचे जमा थी. ये ठीक उसी तरह है जिस तरह पृथ्वी पर आर्कटिक और ग्रीनलैंड आइस शीट्स के नीचे हैं.
वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि की है कि पृथ्वी की कई इसी तरह की झीलें बैक्टीरिया के जीवन से युक्त हैं और मंगल पर तरल जलाशयों में इसी तरह का जीवन जीवित रह सकता है.
एलेना पेट्टीनेली जो कि इटली में रोमा त्रे यूनिवर्सिटी में जियो फिजिक्स के प्रोफेसर हैं और जिन्होंने इस ताजा रिसर्च और शोध को नेतृत्व किया है उन्होंने इसके बारे में कहा कि हम लोग पहले से काफी ज्यादा आत्मविश्वास से भरे हैं साथ ही हमने कई और चीजों को गहराई से देखा है जिससे डेटा को पूरी तरह अलग तरीके से प्रोसेस्ड किया गया है.
पेट्टीनेली और उनकी टीम ने 2012 से 2019 तक मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर से ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार के साथ दक्षिणी ध्रुव के पास क्षेत्र के 134 अवलोकनों पर कार्रवाई की, जो पहले की तुलना में चार गुना से ज्यादा है. और ये रिसर्च समय की अवधि को दो बार से अधिक कवर करते हुए किया गया है.
उन्होंने तब अवलोकन डेटा के लिए एक नई तकनीक लागू की जिसका उपयोग अंटार्कटिक बर्फ की चादर के नीचे की झीलों को खोजने के लिए किया गया है, साथ ही साथ 2018 के अध्ययन में उपयोग की गई एक पुरानी तकनीक भी है. उनकी रिसर्च के दोनों तरीकों से संकेत मिलता है कि क्षेत्र में तरल के दफन जलाशयों का “पैचवर्क” है, पेट्टिनेली ने कहा – 15 मील भर में एक बड़ा जलाशय, 6 मील तक कई छोटे पैच से घिरा हुआ है.
शोधकर्ताओं ने यह नहीं बताया कि जलाशय कितने गहरे जाते हैं, लेकिन वे सतह के नीचे एक मील से शुरू करते हैं, ऐसा रिसर्च में सामने आया है. वहीं जब रडार यह नहीं दिखाता है कि वे किस चीज से बने हैं, तो वे संभवतः “हाइपर्सैलिन” समाधान हैं यानी ये पानी कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम और पोटेशियम के परक्लोरेट लवण के साथ संतृप्त होता है. इस तरह का पानी उन्हें माइनस 90 डिग्री फ़ारेनहाइट और नीचे तक भी लिक्विड रखता है.
मंगल ग्रह पर जीवन के लिए एक संभावित भूमिगत जगह का नया अध्ययन वैज्ञानिकों द्वारा शुक्र के बादलों में जीवन के संभावित संकेतों को खोजने के कुछ सप्ताह बाद आया है.
यदि वास्तव में तरल वॉटरबॉडी जमीन में दफन है, तो वे एक प्रमुख स्थान हो सकते हैं, जहां सूक्ष्म विदेशी जीवन मंगल ग्रह पर जीवित रह सकता है, शायद अगर मंगल की सतह पर पानी का समुद्र होता तो वहां जीवन का एक अवशेष जो अरबों साल पहले वहां मौजूद हो सकता है भी मिलने की संभावना है.
तरल पानी जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है जैसा कि हम जानते हैं, हालांकि हाइड्रोकार्बन या कार्बन डाइऑक्साइड पर आधारित जीवन के लिए विदेशी रसायन विज्ञान भी प्रस्तावित किया गया है.
मंगल ग्रह को अब सूखा माना जाता है, लेकिन इसके वायुमंडल में नमी उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों में स्थायी कार्बन डाइऑक्साइड आइस कैप के ऊपर पानी की बर्फ के रूप में सर्दियों के दौरान जमा हो जाती है.
यदि इस खोज को सत्यापित किया जाता है, तो यह मंगल पर पहली बार तरल पानी पाया जाएगा, और यह अलौकिक जीवन की खोज पर गहरा प्रभाव डालेगा.