जिस दिन से चला हूँ मिरी मंजिल पे नजर हैं, आँखों ने कभी मिल का पत्थर नहीं देखा

नगरीय निकायों में कांग्रेस की जीत पर विशेष

“जिस दिन से चला हूँ मिरी मंजिल पे नजर हैं,

आँखों ने कभी मिल का पत्थर नहीं देखा”

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नगरीय निकायों के चुनाव (Urban Body Election) अंतिम दौर में हैं. कांग्रेस (Congress) ने आज 10 प्रमुख नगर निगमों में अपना कब्ज़ा जमा लिया. भाजपा (BJP) हाथ मलते रह गई. ये बड़ी जीत हैं. साथ ही बड़ी जिम्मेदारी भी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने जो रणनीति बनाई वो सफल हुई हैं. उन्होंने विधानसभा में जिस प्रकार एक तरफा जीत का परचम तमाम मुश्किलों के बावजूद लहराया था वही उन्होंने नगरीय निकायों में कर दिखाया. उनकी इस कामयाबी पर मशहूर शायर बशीर बद्र का ये शेर मौजूं लगता हैं.

“जिस दिन से चला हूँ मिरी मंजिल पे नजर हैं,

आँखों ने कभी मिल का पत्थर नहीं देखा”.

कांग्रेस ने अपनी रणनीति से प्रदेश में नगर निगमों में 10 में से 10 में अपना महापौर बनाने में सफलता प्राप्त की. जनता ने फिर एक बार बड़ा विश्वास व्यक्त किया हैं. साथ ही बड़ी जिम्मेदारियां भी कांग्रेस को मिली हैं. परिस्थितियां विपरीत हैं और विकास करना हैं. विकास की परिभाषा तो मुख्यमंत्री ने आज तय कर दी की छत्तीसगढ़ सरकार की योजना के केन्द्र में ‘व्यक्ति‘ है. ‘व्यक्ति‘ का विकास करना ही हमारा लक्ष्य है. जनता ने कांग्रेस पर  जो विश्वास व्यक्त किया है उस पर खरा उतरना होगा. नीचे से लेकर ऊपर तक कांग्रेस हैं कोई बहाना शायद काम ना करें.

देश में कांग्रेस की वापसी की शुरुआत छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे हिंदी भाषी राज्यों से हुई हैं. यही से भाजपा ने भी देश में अपना परचम फहराना चालू किया था. मगर इनमे छत्तीसगढ़ की भूमिका महत्तवपूर्ण हैं. जिस प्रकार भूपेश बघेल ने संघर्ष किया, अपनी आक्रमकता से भाजपा सरकार को बार-बार कटघरें में खड़ा किया. राजनीतिक के साथ-साथ व्यक्तिगत बिजलियाँ भी उनपर गिरी पर वह डिगे नहीं चलते रहे, लड़ते रहे और मंजिल की ओर नजरें जमाये रखी सत्ता प्राप्त की. मगर उनका लक्ष्य उन लोगों को आइना दिखाना था जो कांग्रेस मुक्त भारत की बात कर रहे थे. स्वभाव के विपरीत शांत रहे रणनीति बनाई और नतीजा आज सामने हैं. नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस ने जो किया उसे कहने की आवश्यकता नहीं हैं.

विरोधी इस बात को भले न स्वीकार कर रहें हो. आकंड़ों की बाजीगरी दिखायें. कहें जनता आज भी हमारे साथ हैं. मगर जीत का कोई विकल्प नहीं होता.

बधाई भूपेश बघेल जी. आप जनता की उम्मीदों पर खरा उतरें और छत्तीसगढ़ के विकास की नई इबारत लिखें जिसमे राग.द्वेष, अपना-पराया, जाति, धर्म का कोई स्थान न हो यही कामना हैं.

और अंत में राहत इंदौरी जी की ये दो लाइने

“आग में फूलने फलने का हुनर जानते हैं,

ना बुझा हमको के जलने का हुनर जानते हैं….”

मनीष वोरा

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, मीडिया पैनालिस्ट और अविरल समाचार के संपादक हैं.)

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