नई दिल्ली (एजेंसी). अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा से ठीक पहले गुजरात के कांडला पोर्ट पर चीन के एक संदिग्ध जहाज के पकड़े जाने से सुरक्षा-एजेंसियों में हड़कंप मच गया है. सूत्रों के मुताबिक, इस जहाज में परमाणु हथियार से जुड़ा सामान है जो पाकिस्तान जा रहा था. इसीलिए डीआरडीओ के वैज्ञानिक इस जहाज में रखे सामान का गहन परीक्षण कर रहे हैं. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने माना है कि इस जहाज में संदिग्ध सामान है लेकिन जांच पूरी होने तक कुछ भी साफ साफ बोलने से इंकार कर दिया है. जानकारी के मुताबिक, इसी महीने की 3 फरवरी को कस्टम विभाग ने कांडला पोर्ट से गुजर रहे एक संदिग्ध जहाज को इंटरसेप्ट किया. ‘डा कोई युन’ नाम के इस जहाज पर हांगकांग का झंडा लगा था लेकिन ये जहाज 17 जनवरी को चीन के जियांगिन बंदरगाह से चला था और पाकिस्तान में कराची के करीब कासिम-पोर्ट जा रहा था.
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सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ के दौरान संदिग्ध जहाज के क्रू ने बताया कि उसमें एक ऑटोक्लोव है जो इंडिस्ट्रयल-ड्रायर के तौर पर इस्तेमाल के लिए है. ये आटोक्लेव करीब 18 मीटर लंबा और 4 मीटर चौड़ा था. लेकिन सूत्रों की मानें तो इस तरह के ऑटोक्लेव का इस्तेमाल बड़े इंडस्ट्रियल प्लांट के साथ साथ बैलेस्टिक-मिसाइलों को लांच करने के लिए भी किया जाता है. यही वजह है कि कस्टम विभाग सहित सभी सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए और उन्होनें डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) से संपर्क साधकर रक्षा क्षेत्र के वैज्ञानिकों से जहाज में रखे सामान की जांच के लिए बुलाया ताकि पता चल सके कि क्या वाकई इसका इस्तेमाल परमाणु हथियारों के लिए तो नहीं है. सूत्रों की मानें तो डीआरडीओ के न्युक्लिर साईंटिस्ट की एक टीम भी इस जहाज में रखे ऑटोक्लोव की जांच कर रही है.
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डीआरडीओ के अधिकारियों से जब इस संदिग्ध जहाज के बारे में जानकारी लेनी चाही तो उन्होनें कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. लेकिन रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ये संदिग्ध जहाज और इसमें कुछ संवदेनशील सामान मिला है, जिसकी जांच चल रही है. डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक, रवि गुप्ता ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि ऑटोक्लेव का इस्तेमाल एक विशेष तौर के कम्पोजिट-मैटेरियल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिससे एयरक्राफ्ट या फिर मिसाइल बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. उन्होनें कहा कि इतने बड़े साइज का ऑटोक्लेव दर्शाता है कि ये मिसाइल या रॉकेट के इंजन बनाने के लिए पाकिस्तान जा रहा होगा.
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सूत्रों के मुताबिक, ये जगजाहिर है कि चीन चोरी-छिपे पाकिस्तान को बैलेस्टिक मिसाइल और परमाणु हथियार बनाने में मदद करता है. कांडला पोर्ट पर पकड़ा ये जहाज और उसपर लदा ये ऑटोक्लेव उसी का जीता-जागता उदाहरण है. कासिम पोर्ट के करीब ही पाकिस्तान के स्पेस एंड अपर एटमोसपियर रिसर्च कमीशन का सेंटर है जो पाकिस्तान के लिए परमाणु तकनीक बनाने का काम करता है. अगर ये पाया गया कि इस जहाज में लदा सामान बैलेस्टिक मिसाइल बनाने के लिए था तो जहाज और उसकी कंपनी पर स्पेशल कैमिकल, ऑर्गेनेजिम, मैटिरयल, इक्यूपमेंच एंड टेक्नोलोजी एक्सपोर्ट नियम के तहत कारवाई की जा सकती है.
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ये पहली बार नहीं है कि चीन से आया कोई जहाज पाकिस्तान के लिए कोई परमाणु हथियारों से जुड़ा सामान ले जाने के दौरान जब्त किया गया है. करगिल युद्ध के दौरान भी एक ऐसे ही उत्तरी कोरिया के जहाज को कांडला पोर्ट पर पकड़ा गया था जो मिसाइलों से जुड़ा सामान लेकर पाकिस्तान जा रहा था. लेकिन जहाज को वाटर-प्यूरीफायर बताया गया था.
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