नई दिल्ली(एजेंसी): जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से अभी उबर भी नहीं पाई थी कि अब इबोला वायरस ने भी दस्तक दे दी है. इबोला वायरस के डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में छह नए मामले सामने आए हैं. जिसकी पुष्टी स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ-साथ डब्ल्यूएचओ ने भी की है.
स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक पश्चिमी शहर मबंडाका में इबोला के छह नए मामले सामने आए हैं, जबकि चार लोगों की इससे मौत भी हो चुकी है. स्वास्थ्य मंत्री इटेनी लोंगोंडो ने कहा कि इबोला वायरस से मबंडाका में चार लोगों की मौत हुई है. उन्होंने बताया कि प्रभावित क्षेत्र में डॉक्टर्स की टीम और दवाइयां भेजी गई हैं.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस ने कहा कि कांगो के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इबोला वायरस के नए मामलों की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि जिस शहर में इबोला वायरस के मामले मिले हैं, वहां कोरोना वायरस का अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है. हालांकि पूरे कांगो में कोरोना वायरस के 3,000 के करीब मामले सामने आ चुके हैं. टेड्रोस ने बताया कि कोरोना और इबोला का आपस में कोई संबंध नहीं है. हालांकि दोनों के लक्षणों में समानता है.
इबोला से संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है. इसके लक्षणों में शुरू में अचानक बुखार, कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द और गले में खराश होना है. वहीं इसके बाद उल्टी होना, डायरिया और कुछ मामलों में अंदरूनी और बाहरी रक्तस्राव होना भी इसके लक्षण हैं. ज्यादा रक्तस्राव से व्यक्ति की मौत का खतरा बढ़ जाता है. इंसानों में इसका संक्रमण संक्रमित जानवरों, जैसे चमगादड़, चिंपैंजी और हिरण आदि के संपर्क में आने से होता है.
इस वायरस की पहचान सबसे पहले साल 1976 में की गई थी. इसके बाद मार्च 2014 में पश्चिमी अफ्रीका में इसके नए मामले पाए गए. इस वायरस से अब तक 2275 लोगों की मौत हो चुकी है. इस वायरस को इबोला के नाम से कांगो में ही जाना जाता है और कांगो में ही इस वायरस से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं.