एप्सो के शांति दूत प्यार और इंसानियत का संदेश देते हैं : श्री भूपेश बघेल

अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन के राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

रायपुर (अविरल समाचार). मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने कहा कि अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन (AIPSO) के सात दशकों के इतिहास में पहला अवसर है कि इस संगठन का राष्ट्रीय अधिवेशन छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में हो रहा है। आज देश और दुनिया में महात्मा गंाधी की 150 वीं जन्म जयंती के अवसर पर आयोजन किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जहां महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के दिन विधान सभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस वर्ष जलियावाला बाग नरसंहार के भी सौ वर्ष पूरे हुए। इस संगठन के संस्थापकों में से एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सैफुद््दीन किचलू जी जलियावाला बाग आन्दोलन के नेतृृत्वकर्ता थे।  बघेल ने एप्सो का छत्तीसगढ़ में पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया।

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उन्होंने कहा कि यह संगठन विश्व युद्ध के दौरान शांति के लिए पंडित नेहरू के योगदान की भी याद दिलाता है। यह संगठन वर्ल्ड पीस काउंसिंल, एफ्रो-एशियन, पीपुल्स सालिडेटरी आर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर काम करने वाला दुनिया का बहुत बड़ा संगठन है। जिसने दुनिया में शांति की स्थापना करने में समय-समय पर अपना बड़ा योगदान दिया है। फिलीस्तीन, वियतनाम, साउथ आफ्रिका, नार्थ कोरिया और क्यूबा में जब नागरिक अधिकारों पर संकट छाया, तब इस संगठन ने वहां शांति और नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। रंगभेद और आणविक हथियारों के खिलाफ हर मौके पर आवाज बुलंद किया है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया में जब-जब अशांति के बादल छाते हैं। तब-तब (ए.आई.पी.एस.ओ.) के शांति दूत प्यार और इंसानियत का संदेश लेकर निकल पड़ते हैं। गरीबी, भूख, बीमारी से लड़ती दुनिया में (ए.आई.पी.एस.ओ.) की आवाज गूंजती है। छत्तीसगढ़ में ललित सुरजन जी को शांति और सद्भाव के आवाज के रूप में जाना और सुना है। मुझे खुशी है आज उनके नेतृत्व में शांति दूतों का समागम छत्तीसगढ़ में हो रहा है। इस आयोजन में पधारे सभी साथियों का अभिनंदन है। यहां कई देशों के प्रतिनिधि और राजदूत आए हैं। मेरा मानना है कि ये सब शांति दूत ही हैं। सबका स्वागत है, अभिनंदन है। यहां आज छत्तीसगढ़ के दो वयोवृद्ध शांति दूतों का सम्मान का अवसर मिल रहा है। राजनांदगांव के  कन्हैया लाल अग्रवाल और रायपुर की श्रीमती शीला भगनानी। ये दोनों हमारी परम्परा और विरासत के प्रतीक हैं। दुनिया की यह विडंबना है कि नफरत, हिंसा और नस्लवाद, कभी उपनिवेशवाद के रूप में आता है कभी पूंजीवाद और कट्टर राष्ट्रवाद के रूप में। आज दुनिया में मानवता को सबसे बड़ा खतरा है पूंजीवाद से है जो कट्टर राष्ट्रवाद का पोषक बनकर फिर एक बार भयभीत कर रहा है।

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बघेल ने कहा कि हम लोकतंत्र के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं। ऐसा लग रहा है, कि तंत्र के लिए लोक गौण हो गया है। सत्ताधारी दल के लोगों को दिग्भ्रमित कर लोकतंत्र को भीड़तंत्र तब्दील करने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। संकेत सारे ऐसे हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र धीरे-धीरे तानाशाही की ओर बढ़ रहा है। बहुसंख्य लोगों को इसका ऐहसास भी नहीं है, जिन्हें इसका ऐहसास हो गया है, वे सड़क पर उतर रहे हैं। लेकिन आश्चर्य है कि उन्हें देशद्रोही कहा जा रहा है। उन पर लाठियां और गोली बरसाई जा रही है। जेलों मंें ठूंसा जा रहा है। अब तो शिक्षण संस्थान भी नहीं बचे हैं। लोकतांत्रिक संस्थाओं को लगातार कमजोर किया जा रहा है। वे इस तरह से काम कर रही है कि लोगों का भरोसा उठते जा रहा है। कुल मिलाकर यह सब डरावना है।

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इस अवसर पर एप्सो की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री पुष्पा देवी सिंह ने स्वागत भाषण दिया। अधिवेशन शांतिदूत सुश्री शीला भगनानी का सम्मान का सम्मान किया गया। सम्मेलन में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, वेनुजुएला, क्यूबा, फिलीस्तीन के राजदूत, वर्ल्ड पीस काउंसिल के महासचिव सहित अनेक देशों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी उपस्थित थे।

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