नई दिल्ली. ईरान के सबसे ताकतवर फौजी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर है और ईरान के शीर्ष नेता खोमैनी ने धमकी दी है कि उनकी हत्या का बदला ईरान हर हालत में लेगा. ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर के शीर्ष जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद लोगों के जेहन में यह सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिरकार देश के सबसे बड़े जनरल और खोमैनी के करीबी सुलेमानी को अमेरिका ने निशाना कैसे बनाया. सेना के शीर्ष पद पर होने की वजह से सुलेमानी की इतनी सख्त सुरक्षा के बाद भी अमेरिका ने उनकी हत्या को कैसे अंजाम दिया?
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यहां हम आपको बता रहे हैं कि आखिरकार अमेरिका ने आतंकवाद फैलाने और अमेरिकी नागरिकों को निशाने बनाने का आरोप लगाते हुए कैसे जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी. दरअसल अमेरिका की नजरों में खटक रहे ईरान के कुद्स फोर्स के अगुवा कासिम सुलेमानी को मारने के लिए अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां सालों से मेहनत कर रही थी. अमेरिकी एजेंसियां सालों से उसके हर गतिविधि को ट्रैक कर रही थी. वो कब कहां जा रहे हैं कितने लोगों के साथ जा रहे हैं सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं और उनका ठिकाना कहां-कहां है? यह सब जानकारी अमेरिकी एजेंसियों ने पहले ही जुटा ली थी. अमेरिकी एजेंसियों ने इन सभी आंकड़ों का विश्लेषण किया और फिर सुलेमानी पर हमले की योजना बनाई गई.
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सऊदी , इजरायल, अमेरिका जैसे कई देशों के आंखों की किरकरी बन चुके कासिम सुलेमानी पर बीते 20 वर्षों में कई बार हमले किए गए लेकिन वो हर बार ऐसे हमलों से बच निकले. इसलिए अमेरिका ने इस बार ऐसी योजना बनाई जिसमें सुलेमानी के बचने की कोई संभावना न हो और इसके लिए तकनीक के हर पहलू का ध्यान रखा गया.
कासिम सुलेमानी को मारने के लिए अमेरिका ने शुक्रवार की सुबह का वो वक्त चुना जब सुलेमानी सीरिया से लौट रहे थे और इराक की राजधानी बगदाद में अपने एसयूवी गाड़ी में अंगरक्षकों के साथ एयरपोर्ट से बाहर निकल रहे थे. जैसे ही कासिम सुलेमानी और उनके अंगरक्षकों की गाड़ी एयरपोर्ट के कार्गो वाले हिस्से से निकलकर बाहर की तरफ जा रही थी ठीक उसी वक्त उनके काफिले पर ड्रोन के जरिए अमेरिकी एजेंसियों ने 230mph लेजर गाइडेड हेलफायर मिसाइल दागा जिससे गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए.
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कासिम सुलेमानी किसी तरह बच न जाए यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी एजेंसियों ने MQ-9 रीपर ड्रोन से एक के बाद एक चार लेजर गाइडेड हेलफायर मिसाइल दागे जिन्होंने एक दम पिन प्वाइंट अचूक निशाने के साथ एसयूवी को हिट किया और धमाके के साथ ही सुलेमानी की मौत हो गई. वो मिसाइल इतनी ताकतवर थी कि अगर सुलेमानी की गाड़ी दिशा बदलती तो भी उसे मिसाइल हिट करता.
इस हमले के ग्रेनी ब्लैक एंड व्हाइट सीसीटीवी फुटेज में साफ तौर पर दिख रहा है कि मिसाइल के गाड़ी पर लगते ही वहां बड़ा धमाका हुआ और जिस गाड़ी में सुलेमानी बैठे थे वो आग लगे लोहों के कबाड़ में बदल गया. सुलेमानी के खून से सने छत-विछत शव की पहचान मलबे में एक अंगूठी के द्वारा हुई जो वो हमेशा पहना करते थे. ईरान के मीडिया के मुताबिक इस हमले में दस लोग मारे गए जिसमें चार वरिष्ठ ईरानी सैन्य सहयोगी, चार इराकी मिलिशिया नेता और अल-मुहांडिस शामिल थे.
सुलेमानी के खून से सने छत-विछत शव की पहचान मलबे में एक अंगूठी के द्वारा हुई जो वो हमेशा पहना करते थे. ईरान के मीडिया के मुताबिक इस हमले में दस लोग मारे गए जिसमें चार वरिष्ठ ईरानी सैन्य सहयोगी, चार इराकी मिलिशिया नेता और अल-मुहांडिस शामिल थे.
सुलेमानी की मौत के बाद अमेरिका के फ्लोरिडा में बोलते हुए ट्रंप ने कहा, सुलेमानी ने निर्दोष लोगों की मौत को अपना बीमार जुनून बना लिया था और उसने नई दिल्ली और लंदन में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया था. ट्रंप ने अपने बयान में उस कदम का बचाव किया जिसके तहत बगदाद में सुलेमानी समेत ईरान के शीर्ष 7 सैन्य अधिकारियों की हत्या कर दी गई.
वहीं सुलेमानी की हत्या के बाद ईरान के शीर्ष नेता खोमैनी ने कहा कि “धरती के सबसे क्रूर लोगों ने’ ‘सम्मानीय’ कमांडर की हत्या की, जिन्होंने दुनिया की बुराइयों और डकैतों के खिलाफ साहसपूर्वक लड़ाई लड़ी.” खोमैनी ने कहा, “उनके निधन से उनका मिशन नहीं रुकेगा लेकिन जिन अपराधियों ने जनरल सुलेमानी और अन्य शहीदों के खून से अपने हाथ रंगे हैं, उन्हें जरूर एक जबरदस्त बदले का अंजाम भुगतने का इंतजार करना चाहिए. (आज तक से साभार)
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