नई दिल्ली(एजेंसी): भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है. दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच स्थिति को सामान्य करने के लिए बातचीत चल रही है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम नतीजा नहीं निकला है. इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लेह-लद्दाख का दौरा करना था ताकि सेना का मनोबल बढ़ाया जा सके. लेकिन कुछ वजहों से रक्षा मंत्री का दौरा टल गया. और तब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 जुलाई की सुबह अचानक से लद्दाख के नीमू पोस्ट पहुंच गए. उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और थल सेना अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी थे. वैसे तो प्रधानमंत्री का अपनी सेना से मिलना और उनका हौसला बढ़ाना आम बात होती है. लेकिन जब दो देशों के बीच तनाव हो, सीमा पर स्थितियां खराब हो रहीं हों और हालात जंग जैसे बन रहे हों, तो खुद प्रधानमंत्री का 11,000 फीट की ऊंचाई बने नीमू पोस्ट पर पहुंचना और जवानों से मुलाकात करना बड़ा संदेश दे जाता है. इस संदेश को डीकोड करने की कोशिश करते हैं.
गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी भिड़ंत में भारत के 20 जवान शहीद हो गए हैं. वहीं कुछ जवान घायल हुए हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री का बॉर्डर पर पहुंचना और अस्पताल में जाकर घायल जवानों से मिलना उनका हौसला बढ़ाता है. पीएम के बॉर्डर पर पहुंचने से ये साफ संदेश जाता है कि प्रधानमंत्री हर वक्त अपने सेना के जवानों के साथ खड़े हैं. सेना के जवानों का मनोबल अब इसलिए भी ऊंचा हो जाएगा, क्योंकि उन्हें अब ये लग रहा होगा कि जिन खतरनाक जगहों पर रहकर वो देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं, देश का प्रधानमंत्री उनसे मिलने के लिए उन खतरनाक जगहों तक खुद आता है और उनका हाल-चाल लेता है.
चीन ने भारत के साथ जो नापाक हरकत की है, उसका जवाब तो हमारे सैनिकों ने दिया ही है, सरकार भी उसका अपने हिसाब से जवाब दे रही है. चीन से आ रहे सामान की सख्ती से जांच का मसला हो, चीनी कंपनियों के टेंडर रद्द करने का मसला हो या फिर चीन के 59 ऐप बैन करने का मसला हो, सरकार अपने तईं जवाब दे रही है. खुद प्रधानमंत्री खुले तौर पर चीन को जवाब देने की बात कह चुके हैं. वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से अभी तक अपनी सेना के लिए कोई बयान नहीं आया है. ऐसे में प्रधानमंत्री का भारत-चीन सीमा पर पहुंचना और वहां जवानों से मुलाकात करना इस बात का संदेश देता है कि अब चीन को उसकी भाषा में ही जवाब दिया जाएगा.
प्रधानमंत्री का नीमू पोस्ट पर पहुंचना चीन के साथ और भी दूसरे पड़ोसी देशों के लिए एक सीधा संदेश है कि भारत अपनी हर इंच ज़मीन के लिए हरदम लड़ने को तैयार है. वो पाकिस्तान हो या फिर नेपाल, उसे समझना होगा कि जब भारत अपनी ज़मीन के लिए चीन से भी भिड़ने को तैयार है तो फिर पाकिस्तान, नेपाल को तो इसके बारे में सोचना ही नहीं चाहिए. चीन एक महाशक्ति है. पैसे से लेकर हथियार तक उसके पास भरे पड़े हैं. लेकिन भारत उससे कहीं भी कमतर नहीं है. और जब भारत चीन से मुकाबले को हमेशा तैयार है तो फिर और देशों को तो भारत की ज़मीन के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए. चाहे वो नेपाल हो, पाकिस्तान हो, बांग्लादेश हो, भूटान हो या फिर श्रीलंका ही क्यों न हो.
पीएम का बॉर्डर पर पहुंचना विपक्ष के लिए भी एक संदेश है. अभी तक चीन से चल रहे तनाव पर विपक्ष और खास तौर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी को घेरने की कोशिश की है. लेकिन अब पीएम के बॉर्डर पर पहुंचने से संदेश साफ है कि प्रधानमंत्री अब अपने ऐक्शन मोड में हैं. विपक्ष भले ही पीएम मोदी को घेरने की कोशिश करे, लेकिन वो खुद सीमा पर जाकर जवानों का हौसला बढ़ा रहे हैं. और अगर कोई प्रधानमंत्री अपने जवानों के साथ युद्धक्षेत्र में मौजूद होता है तो जवानों का मनोबल कई गुना बढ़ जाता है. खुद कांग्रेस भी ये बात जानती है, क्योंकि मनीष तिवारी ने खुद कहा है कि साल 1971 में जब इंदिरा गांधी लेह गई थीं तो उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे.