आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा बनाई जा सकती है सब-केटेगरी
नई दिल्ली (एजेंसी). देश में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की सात सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने अनुसूचित जाति और जनजातियों (SC & ST) को आरक्षण के मुद्दे पर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजातियों में सब-केटेगरी बनाई जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 6/1 से ये फ़ैसला सुनाया. सीजेआई चंद्रचूड़ सहित 6 जजों ने इस पर समर्थन दिखाया, जबकि जस्टिस बेला त्रिवेदी इससे असहमत रहीं.
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में कहा, ‘हालांकि आरक्षण के बावजूद निचले तबके के लोगों को अपना पेशा छोड़ने में कठिनाई होती है. इस सब-कैटेगरी का आधार यह है कि एक बड़े समूह मे से एक ग्रुप को अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है.’
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की 7 जजों वाली इस संवैधानिक पीठ में शामिल जस्टिस बीआर गवई ने सामाजिक लोकतंत्र की आवश्यकता पर दिए गए बीआर अंबेडकर के भाषण का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देना राज्य का कर्तव्य है, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के केवल कुछ लोग ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं. इस ‘जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता कि एससी/एसटी के भीतर ऐसी श्रेणियां हैं, जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.’
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस फैसले ने 2004 में दिए गए 5 जजों के फैसले को पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के फैसले में कहा था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उप श्रेणियों में बांटने का अधिकार नहीं है. हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के इस फैसले का अर्थ ये होगा कि राज्य सरकारों को अनुसूचित जाति जनजाति में सब-केटेगरी बनाने का अधिकार होगा.
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