नई दिल्ली(एजेंसी):ब्रिटेन में कोरोना वायरस के वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल अंतिम चरण में है. अंतिम चरण के नतीजे आने के बाद साफ हो जाएगा कि कोरोना से बचाव में वैक्सीन कितनी मददगार है. ऑक्सोफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ AstraZeneca Plc मिलकर वैक्सीन के ट्रायल पर काम कर रही है.
पिछले साल के अंतिम महीनों से दुनिया को एक नई महामारी का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना वायरस महामारी के चलते दुनिया में अबतक करीब 9 मिलियन लोग संक्रमित हो चुके हैं. इसकी स्थायी दवा नहीं होने से दुनिया के सामने इलाज ढूंढने की चुनौती है. इस बीच कोरोना वायरस के जख्मों से जूझ रही दुनिया को रोशनी की किरण नजर आने लगी है.
ब्रिटेन में कोविड-19 के क्लीनिकल ट्रायल के अंतिम चरण में पहुंचनेवाली ChAdOx1 nCov-19 वैक्सीन को 10260 लोगों को दिया जाना है. हालांकि कोविड-19 के लिए वैक्सीन का परीक्षण ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में भी हो रहा है. सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से साझेदारी की है. 100 बिलियन डॉलर का निवेश कर कंपनी ने भारत और दूसरे अन्य गरीब मुल्कों के लिए 1 बिलियन वैक्सीन के उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है.
कोविड-19 के इलाज के लिए बनी ChAdOx1 वैक्सीन वायरस से बनी है जो सामान्यम सर्दी वाले वायरस का कमजोर रूप है. शोधकर्ता बुजुर्गों और बच्चों को ChAdOx1 nCov-19 वैक्सीन देकर किसी चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं. ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के प्रमुख प्रोफेसर एंड्रूय पोलाऱ् ने कहा, “क्लीनिकल अध्ययन बहुत अच्छा चल रहा है. हम अब आंकलन कर रहे हैं कि वैक्सीन बुजुर्ग मरीजों के प्रतिरोध में कितनी तेजी से कारगर होती है. हम इस बात को भी परख रहे हैं कि बड़ी आबादी को वैक्सीन सुरक्षा दे सकती है या नहीं.” माना जा रहा है कि ट्रायल के कामयाब होने पर ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप कोविड-19 वैक्सीन को इस साल के अंत तक लांच कर सकता है. फिलहाल दुनिया भर में 100 वैक्सीन अलग-अलग क्लीनिकल ट्रायल के चरण में हैं.