नई दिल्ली (एजेंसी). नागरिकता संसोधन बिल का नॉर्थ ईस्ट राज्यों में भारी विरोध हो रहा है. असम के डिब्रूगढ़ में सड़कों पर आगजनी भी हुई. इस दौरान लोगों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. छात्र संगठनों के 12 घंटे के बंद पर डिब्रूगढ़ से लेकर गुवाहाटी तक दुकानें भी नहीं खुली. बता दें कि ये बिल कल लोकसभा से पास हो गया है. अब इसे राज्यसभा में पेश किया जा सकता है.
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पूर्वोत्तर राज्यों के स्वदेशी लोगों के एक बड़े वर्ग को ये लगता है कि इस नागरिकता बिल के जरिए जिन शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी उनसे उनकी पहचान, भाषा और संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी. पूर्वोत्तर के कई राज्यों में लोग नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरे हुए हैं.
प्रदर्शनकारियो ने असम के मुख्यमंत्री सरबानंद सोनोवाल के घर के बाहर भी प्रदर्शन कर अपना आक्रोश दिखाया. प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया, “जब अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड को नागरिक संशोधन विधेयक से बाहर रखा जा सकता है तो हमारे साथ दोहरा व्यव्हार क्यों किया जा रहा है?”
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लोकसभा में गृहमंत्री ने साफ किया कि ये बिल अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड (दीमापुर को छोड़कर), त्रिपुरा (लगभग 70%) और लगभग पूरे मेघालय में यह कानून लागू ही नहीं होगा. असम में बोड़ो, कार्बी और डिमासा इलाके संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं, लिहाजा वहां भी ये कानून लागू नहीं होगा. इसके अलावा अमित शाह ने लोकसभा में ये भी साफ किया कि पूर्वोतर के जिन राज्यों में इनर लाइन परमिट व्यवस्था है, वहां नागरिकता संशोधन बिल लागू नहीं होगा.
संसद मे दिए अमित शाह के बयान के मुताबिक, उत्तरपूर्व के राज्यों को नागरिकता संशोधन से नहीं डरना चाहिए. पूर्वात्तर छात्र संगठन (एनईएसओ) के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए गुवाहाटी यूनिवर्सिटी और डिब्रुगढ़ यूनिवर्सिटी ने कल होने वाली परीक्षाएं टाल दी हैं. लोकसभा में बिल को कांग्रेस, एनसीपी, डीएमके, बीएसपी, समाजवादी पार्टी और एआईएमआईएम समेत अन्य दलों ने संविधान के खिलाफ बताया.
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