नई दिल्ली (एजेंसी)। जालियांवाला बाग हत्याकांड ब्रिटिश इतिहास का वो बदनुमा पन्ना है जिसका जिक्र ही अंग्रेजों के लिए शर्मिंदगी का सबब है। जो अंग्रेज भारतीयों को सभ्य बनाने का ढोंग रचकर भारत पर शासन करने आए, उन्होंने जलियांवाला बाग जैसे बर्बर, असभ्य और जघन्य नरसंहार को अंजाम दिया। मात्र 2 दिन बाद 13 अप्रैल 2019 को जालियांवाला बाग हत्याकांड के लिए 100 साल पूरे हो जाएंगे। अब जाकर ब्रिटिश सत्ता को जलियांवाला बाग हत्याकांड पर अफसोस का एहसास हुआ है।
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने 10 अप्रैल को इस घटना के लिए खेद प्रकट किया। थेरेसा में ने इस घटना को ब्रिटेन के भारतीय इतिहास का शर्मनाक अध्याय करार दिया। हालांकि उन्होंने इस घटना के लिए औपचारिक माफी नहीं मांगी।
ब्रिटेन की सांसद हाउस ऑफ कॉमंस में थेरेसा मे ने कहा, “1919 का जालियांवाला बाग कांड ब्रिटिश इंडियन इतिहास पर शर्मनाक दाग है, जैसा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 14 अक्टूबर 1997 में जालियांवाला बाग दौरे के पहले कहा था यह हमारे भारत के साथ इतिहास का दुखद उदाहरण है।”
इससे पहले ब्रिटेन के एक पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को गंभीर रूप से शर्मनाक कृत्य बताया था। जलियांवाला बाग की विजिटर बुक में उन्होंने लिखा कि यह ब्रिटिश इतिहास में बहुत शर्मनाक घटना है। कैमरून-2013 में भारत दौरे पर आए थे।