दुबई (एजेंसी)। संयुक्त अरब अमीरात की सरकार ने मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए एक बेटी की खातिर अपने नियमों के विरुद्ध जाने की मिसाल पेश की है। यूएई सरकार ने एक हिन्दू व्यक्ति और मुस्लिम महिला की बेटी को जन्म प्रमाणपत्र दे दिया। इससे पहले तक यूएई में प्रवासियों के लिए शादी के नियम के अनुसार, मुस्लिम पुरुष तो किसी गैर मुस्लिम महिला से शादी कर सकता है, लेकिन मुसलमान महिला किसी गैर मुस्लिम व्यक्ति से विवाह नहीं कर सकती।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कपल किरण बाबू और सनम साबू सिद्दीकी ने साल 2016 में केरल में शादी की थी। लेकिन कारोबार के सिलसिले में किरण अपनी पत्नी के साथ UAE के शारजांह में रह रहे थे। साल 2018 में UAE के हॉस्पिटल में इनकी बेटी का जन्म हुआ। लेकिन बेटी के जन्म के बाद बच्ची को बर्थ सर्टिफिकेट नहीं दिया गया।
किरण बाबू ने मीडिया को बताया, “मेरे पास अबू धाबी का वीजा है। मैंने वहां बीमा कराकर अपनी पत्नी को Medeor 24X7 हॉस्पिटल में भर्ती कराया। लेकिन मेरे हिंदू होने की वजह से बच्ची के जन्म के बाद बर्थ सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया गया।”
उन्होंने आगे बताया, “इसके बाद मैंने कानून की मदद लेकर बर्थ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया। करीब 4 महीने तक सुनवाई चलने के बाद मेरे केस को खारिज कर दिया गया।” बाबू ने बताया, जब से मेरी बेटी का जन्म हुआ है मेरी बेटी के पास कोई कानूनी दस्तावेज नहीं हैं।
किरण बाबू ने आगे बताया, “वो दिन बहुत तनाव से भरे थे। सिर्फ माफी ही एक उम्मीद थी। बच्ची को आव्रजन मंजूरी देने से मना कर दिया गया था, क्योंकि उसके जन्म को साबित करने के लिए कोई डेटा या पंजीकरण नंबर नहीं था। लेकिन इंडियन एंबेसी ने हमारी काफी मदद की।”
बता दें कि UAE ने 2019 को ईयर ऑफ टॉलरेंस के तौर पर घोषित किया है, ताकि UAE सहनशील राष्ट्र के तौर पर दुनियाभर में मिसाल कायम कर सके। इसका उद्देश्य अलग-अलग संस्कृति के लोगों के बीच पनप रहे गैप को खत्म करना है।
