नई दिल्ली (एजेंसी)। ऑटो सेक्टर में छाई मंदी का असर अब दिखने लगा है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने का फैसला लिया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक कंपनी ने संख्या में छह फीसदी कटौती कर दी है।
हालांकि कंपनी ने अपने नियमित कर्मचारियों के बजाए सबसे पहले ठेके (संविदा) पर रखे कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है। 30 जून तक ऐसे कर्मचारियों की संख्या 18845 थी, जिसमें से 1181 लोगों की सेवाओं को समाप्त कर दिया गया है। ऐसा पहली बार हुआ जब शेयर बाजार में सूचीबद्ध किसी कंपनी ने इस बारे में बताया है। देश की तीन दिग्गज कंपनियों के पहली तिमाही के घाटे वाले नतीजे और विभिन्न कंपनियों द्वारा अपने शोरूम को बंद किए जाने से स्थिति कितनी विकट हो चुकी है, इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। हाल ही में ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री ने भी 10 लाख लोगों की नौकरी जाने की ओर इशारा किया था।
गाड़ियों की बिक्री में कमी होना वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में शुरू हो गया था। पिछले साल फेस्टिव सीजन में भी कंपनियों की उम्मीद थी, कि बिक्री का आंकड़ा बढ़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दिसंबर से लेकर के जून तक कंपनियों का स्टॉक पहले की तरह पड़ा हुआ है। हालत यह है कि मांग न होने की वजह से कई कंपनियों ने अपनी फैक्ट्रियों में उत्पादन को बिलकुल बंद कर दिया है। कंपनियों के पास पुराना स्टॉक ही इतना ज्यादा पड़ा हुआ है कि उसको निकालने में अभी काफी समय लगने की उम्मीद है।
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति ने हाल ही में तिमाही नतीजों को जारी किया था। कंपनी को पहली तिमाही में 1435.50 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। साल दर साल आधार कंपनी को 27 फीसदी का नुकसान हुआ है। कंपनी की नेट बिक्री में 14.1 का नुकसान हुआ है और यह 18,735.20 करोड़ रुपये रह गई है। कंपनी के वाहनों की बिक्री भी 18 फीसदी गिर गई है। अब कंपनी ने फैसला किया है कि वो अपने गुजरात स्थित प्लांट में उत्पादन क्षमता को दोगुना नहीं करेगी।
कंपनी की सबसे ज्यादा बिकने वाली ऑल्टो और वैगन-आर भी गिरती बिक्री को रोक नहीं पाई। बल्कि खुद इनकी ही बिक्री में कमी दर्ज की जा रही है। मारुति ने ऑल्टो को नए सेफ्टी फीचर्स और बीएस6 इंजन में पेश तो किया लेकिन गाड़ी की कीमत ज्यादा हो गई। जिसके चलते इसकी डिमांड कम होती चली गई। वहीं दूसरे मॉडल्स के साथ भी यही कुछ ऐसा ही हश्र हुआ। कीमत बढ़ने से भी मांग में कमी देखने को मिली है।