नई दिल्ली (एजेंसी)। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 6 अरब डॉलर के कर्ज के लिए पाकिस्तान के सामने चीन, यूएई और सऊदी अरब से कर्ज भुगतान की समयसीमा बढ़ाने की लिखित गारंटी लाने की शर्त रखी है।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, आईएमएफ की शर्त के मुताबिक हमने मित्र देशों से लिए गए कर्ज के भुगतान की समयसीमा बढ़ाने को लेकर लिखित आश्वासन लेने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं।
पाकिस्तान का वित्त मंत्रालय इस मुद्दे पर काम कर रहा है। बता दें कि इससे पहले आईएमएफ ने किसी भी देश को बेलआउट पैकेज देने में इस तरह की शर्त नहीं रखी है। यह आईएमएफ के इतिहास में पहली बार है जब उसने किसी देश के सामने ऐसी शर्त रखी है।
इससे यह बात भी साबित होती है कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को बहुत ही कड़ी शर्तों पर कर्ज दिया है। अपने कर्ज की अदायगी सुनिश्चित करने के लिए आईएमएफ ने इमरान खान की सरकार के लिए तमाम चुनौतियां पैदा कर दी हैं।
पाकिस्तान ने चीन से करीब 19 अरब डॉलर का कर्ज लिया है, सऊदी अरब से 3 अरब डॉलर और यूएई से करीब 2 अरब डॉलर का कर्ज लिया है। सूत्र के मुताबिक, आईएमएफ की पाकिस्तान से यह मांग हैरान करने वाली है क्योंकि विश्लेषकों का मानना है कि यह अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के खिलाफ है।
आईएमएफ ने ये शर्त रखकर पाकिस्तान के आर्थिक प्रबंधकों को चुनौतीपूर्ण स्थिति में डाल दिया है, खासकर चीनी व्यावसायिक बैंकों के कर्ज भुगतान को लेकर। विश्लेषकों के मुताबिक, चीनी व्यावसायिक बैंकों से लिए गए 7 अरब डॉलर के लोन का रोलओवर कराना बहुत ही मुश्किल काम होगा क्योंकि ज्यादातर बैंक कर्ज भुगतान की समयसीमा बढ़ाने में झिझकते हैं।
हालांकि, सरकारी सूत्रों का कहना है कि कर्ज भुगतान की समयसीमा बढ़ाना आम बात है और इस्लामाबाद संबंधित देशों के साथ इस मसले पर संपर्क में है।
वित्त मंत्रालय के सलाहकार और प्रवक्ता डॉ. खाका नजीब ने कहा, विदेशी कर्ज को रिफाइनेंस कराना मुश्किल काम नहीं है और सरकार प्रतिबद्धताओं के हिसाब से विदेशी कर्ज का भुगतान कर रही है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संकट में है और आईएमएफ का 6 अरब डॉलर का कर्ज उसके लिए बेहद जरूरी हो गया है। हालांकि, वित्त बाजार ने आईएमएफ बेलआउट पैकेज के बाद सकारात्मक संकेत नहीं दिए हैं। रुपए के अवमूल्यन की वजह से विदेशी कर्ज में करीब 1 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हो गया है।