चंडीगढ़ (एजेंसी)| अमृतसर में हुए जलियावाला बाग नरसंहार के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर पंजाब विधानसभा में बुधवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित हुआ जिसके तहत केंद्र पर दुनिया के सबसे बड़े नरसंहारों में शामिल जलियावाला बाग कांड के लिए ब्रिटिश सरकार से माफी की मांग करने के लिए दवाब डाला जाए। इस नरसंहार में सैकड़ों लोग मारे गए थे। प्रस्ताव के अनुसार, 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन हुए नरसंहार के लिए माफी शहीदों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
संसदीय कार्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्र यह प्रस्ताव लाए जो मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अगुआई में एक वॉइस नोट के जरिए सर्वसम्मति से पारित हो गया।
मोहिंद्र ने कहा, `यह 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के पवित्र दिन जलियावाला बाग में अंग्रेज शासन के रॉलट अधिनियम के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठे हुए मासूम लोगों पर किया गया एक नृशंस कृत्य था।`
मंत्री ने कहा, `यहां तक कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भी उस गैर-जिम्मेदाराना कृत्य की गंभीरता महसूस की थी जो जनरल डायर को ब्रिटिश आर्मी से समय से पहले ही सेवानिवृत्त करने से साबित होता है।`
उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर ने भी इसके विरोध में अपनी नाइटहुड की उपाधि लौटा दी थी।
मोहिंद्र ने कहा कि नरसंहार से प्रभावित भारतीयों को शांत करने के लिए भारत सरकार के पास ब्रिटिश सरकार से माफी मंगवाने का सबसे उपयुक्त समय है।