नई दिल्ली, (एजेंसी)| एलईईडी ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग सिस्टम तैयार करने वाले यू.एस. ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (यूएसजीबीसी) ने गुरुवार को अमेरिका के बाहर एलईईडी के लिए शीर्ष 10 देशों और क्षेत्रों की वार्षिक सूची की घोषणा की। भारत को 248.1 लाख कुल वर्ग मीटर क्षेत्र से अधिक में बने 899 से अधिक एलईईडी प्रमाणित परियोजनाओं के साथ इस सूची में तीसरा स्थान मिला है। काउंसिल ने एक बयान में कहा कि इस सूची में ऐसे बाजारों को स्थान दिया गया जो लोगों के लिए सेहतमंद स्थान तैयार करने के लिए एलईईडी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही कम ऊर्जा और पानी का उपयोग करते हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन घटा है और परिवारों एवं कारोबारों के लिए धन की बचत हुई है।
एलईईडी प्रोजेक्ट्स के लिए वैश्विक सर्टिफाइंग बॉडी यूएसजीबीसी एवं ग्रीन बिजनेस सर्टिफिकेशन इंक (जीबीसीआई) के अध्यक्ष व मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेश रामानुजम ने कहा, `पिछले 25 वर्षों के दौरान एलईईडी ने पूरी दुनिया में स्थायित्व के प्रयासों में अहम भूमिका निभाई है।`
उन्होंने कहा, `शीर्ष 10 देश और क्षेत्र समर्पित यूएसजीबीसी सदस्य कंपनियों और ग्रीन बिल्डिंग पेशेवरों के वैश्विक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं जो हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के प्रति समर्पित हैं। एक बेहतर भविष्य के लिए सार्वभौमिक जीवनस्तर की जरूरत है जिसमें कोई भी पीछे न छूट जाए और वैसा भविष्य इन देशों में किए जा रहे असाधारण काम के बिना संभव नहीं हो सकेगा।`
एलईईडी या लीडरशिप इन एनर्जी एंड एनवायर्नमेंटल डिजाइन 167 से अधिक देशों और क्षेत्रों में 96,275 पंजीकृत और प्रमाणित परियोजनाओं के साथ दुनिया में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ग्रीन बिल्डिंग प्रोग्राम है।
ग्रीन बिजनेस सर्टिफिकेट इंस्टीट्यूट (जीबीसी) के एपीएसी एवं मध्य पूर्व के प्रबंध निदेशक गोपालकृष्णन पद्मनाभन ने कहा, `2018 में सर्वाधिक संख्या में एलईईडी परियोजनाओं की संख्या के साथ एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत ग्रीन बिल्डिंग अभियान में अग्रणी भूमिका में है। वाणिज्यिक इमारतों के अलावा एलईईडी परियोजनाएं शिक्षा, विनिर्माण, आतिथ्य सत्कार जैसे क्षेत्रों में भी देखने को मिली हैं। एलईईडी प्रमाणित मेट्रो और शहरों के लिए एलईईडी से भी भारत में ग्रीन बिल्डिंग अभियान को गति मिल रही है। भारत में हरित की मांग बढ़ रही है और हमें भरोसा है कि आने वाले वर्षो में हरित परियोजनाओं की संख्या बढ़ेगी और इससे विकास और हरित रोजगारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।`