नई दिल्ली(एजेंसी): पूरी दुनिया में इस वक्त कोरोना के कहर मचाया हुआ है. मरीजों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का तीसरा देश बन चुका है. भारत में रोजोना नए मरीजों की संख्या बढ़कर तीस हजार के करीब पहुंच तक गई है. इस बीच कोरोना को लेकर नई नई जानकारियां सामने आ रही हैं जो लोगों में डर को और ज्यादा बढ़ा रही हैं. कोरोना के मरीजों में नए-नए लक्षणों को लेकर भी खबरें आ रही हैं.
इसके साथ ही सबसे बड़ा सवाल है कि कोरोना की वैक्सीन या फिर कोई कारगर दवा कब तक आएगी. कोरोना से जुड़े इन सभी सवाल के जवाब जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया से बात की. डॉक्टर गुलेरिया ने विस्तार से सभी सवालों के जवाब दिए.
डब्ल्यूएचओ की ओर से अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि यह वायरस हवा से फैल सकता है. कोरोना वायरस का इंफ्केशन ड्रॉपलेट से फैलता है, कई दफा यह ड्रॉपलेट्स बहुत छोटे आकार के हो सकते हैं, जिसे हम 5 माइक्रॉन से भी कम का कहते हैं. इतने छोटे ड्राॉलेट्स ज्यादा दूर जा सकते हैं और देर तक हवा में रह सकते हैं. अगर कोई व्यक्ति खांसता है तो ज्यादातर बड़े ड्रॉपलेट्स बाहर आते हैं जो ज्यादा दूर तक नहीं जाते हैं. लेकिन छोटे ड्रॉपलेट्स दूर तक जाते हैं, खासकर किसी बंद कमरे में हो तो यह परेशानी बन सकते हैं. इसीलिए हम कह रहे हैं कि यह वायरस हवा से भी फैल सकता है.
अंतरराष्ट्रीय मानदंडों की बात करें या फिर भारतीय मानदंडों की इन दोनों में सूंघने की शक्ति चले जाना एक नया लक्षण जोड़ा गया है. 30 प्रतिशत केस में डायरिया भी एक लक्षण के तौर पर देखा गया है. इन मरीजों में खांसी या सांस लेने के कोई लक्षण नहीं होंगे.
जब यह वायरस इन्फेक्ट करता है, चाहे गले में हो या फेफड़े में हो फिर कुछ हद तक यह वायरस खून में भी आ जाता है जिसे हम वायरीमिया कहते हैं. अभी यह साफ नहीं है कि यह जो वायरस है वायरीमिया से लेकर ब्रेन तक पहुंच तक जाए. फिर इसके लिए रीढ़ की हड्डी से पानी निकाल कर हम जांच करें. अभी इसे लेकर ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है.
रूस से वैक्सीन को लेकर भी खबर आ रही है कि जल्द ही वेक्सीन उपलब्ध होगी. लेकिन जहां तक दवाई की बात है तो रूस में जो दवाई है जैसे कि Favipiravir यह भारत में भी उपलब्ध है और जापान में भी उपलब्ध है. लेकिन अभी भी इन दवाइयों को लेकर इतना ज्यादा डाटा उपलब्ध नहीं है जिससे हम कह सकें कि यह दवाइयां जीवन रक्षक साबित होंगी. या फिर यही एक दवा जो वायरस को मार सकती है.
मेरा मानना है कि दुनिया भर में इतने बड़े स्तर पर रिसर्च हो रही है कि अगले दो तीन हफ्ते में कोई अच्छी दवाई आ जानी चाहिए. या फिर तस्वीर साफ हो जानी चाहिए कि कौन सी दवाई काम करती है या फिर कौन सी नहीं करती है. वैक्सीन को आने में अभी थोड़ा और समय लगेगा. क्योंकि वैक्सीन के लिए अलग अलग स्तर पर टेस्टिंग की जाती है. मेरा मानना है कि अगले साल तक ही वैक्सीन को लेकर बड़ी जानकारी सामने आएगी.