नई दिल्ली(एजेंसी): कोरोना वायरस से जंग के बीच सोमवार को एक डराने वाली खबर आई. यह खबर दिल्ली के निजामुद्दीन से थी. यहां एक धार्मिक समारोंह में हिस्सा लेने देश के अलग हिस्सों से ही नहीं बल्कि दुनिया से 12 से 15 मुल्कों के लोग आए थे. कोरोना के मद्देनज़र देशव्यापी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के बीच सोमवार को दिल्ली पुलिस को जानकारी मिली की निजामुद्दीन में मरकज़ में कई लोग इकट्ठे हैं और उनमें कोरोना संक्रमण के लक्षण देखने को मिल रहे हैं.
यह खबर मिलते ही पुलिस ने इलाके को घेर लिया. अब इन लोगों की जांच की जा रही है, लेकिन इस बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. आइए जानते हैं क्या हुआ है निजामुद्दीन के तब्लीगी जमात के मरकज़ में जो पूरे देश के लिए अब सबसे बड़ी चिंता का विषय हो गया है.
दरअसल रविवार देर रात दिल्ली पुलिस को खबर मिली कि निजामुद्दीन इलाके में कई लोगों में कोरोना के लक्षण दिखाई दिए हैं. दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के अधिकारी मेडिकल टीम लेकर यहां पहुंचे और इलाके को बंद करने के बाद टेस्ट के लिए लोगों को ले गए. सैंकड़ों लोगों के टेस्ट हो चुके हैं. इन सबकी जांच रिपोर्ट मंगलवार यानी आज आने की संभावना है. इस वक्त पूरा इलाका सील कर दिया गया है. इसमें तबलीग़-ए-जमात का मुख्य केंद्र, इस केंद्र के सटे हुए निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन और बगल में ही ख्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह है. पुलिस वालों का कहना है कि वे लोगों की पहचान करके उन्हें अस्पताल में क्वारंटाइन के लिए भेज रहे हैं.
दरअसल 3000 से अधिक प्रतिनिधियों ने एक से 15 मार्च तक तबलीगी जमात में भाग लिया था.स्थानीय लोगों ने कहा कि इस अवधि के बाद भी बड़ी संख्या में लोग जमात के मरकज में ठहरे रहे. इस वक्त देश में कोरोना वायरस के मद्देनज़र लॉकडाउन लगा है और किसी भी तरह की धार्मिक कार्यक्रमों की इजाजत नहीं है.
मरकज़ में इतनी बड़ी तादाद में लोगों का इकट्ठा होना न सिर्फ लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन था बल्कि दिल्ली सरकार के उस ऑर्डर का भी उल्लंघन था जिसमें केजरीवाल सरकार ने कोरोना के मद्देनज़र एक जगह पर 50 से ज़्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर प्रतिबंध लगाया है. मरकज़ में हजारों के तादाद में लोग थे इस तरह न सिर्फ उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाली बल्कि पूरे देश की.
अब तक मरकज़ में शामिल लोगों में कुल 27 लोगों में कोरोना प़जिटिव पाया गया है. वहीं इस धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले तेलंगाना के सात लोगों की मौत हो गई है.
इस गंभीर संकट में जहां पुलिस कह रही है कि इस तरह के धार्मिक आयोजन की इजाजत नहीं थी तो वहीं तब्लीगी जमात सफाई दे रहा है. लगातार उठ रहे सवालों के बीच मरकज़ ने अपने बचाव में दलील दी है. निज़ामुद्दीन तबलीगी जमात मरक़ज़ में लोगों को ट्रेनों या फिर दूसरी जगह से बाहर जाना था लेकिन बंद के चलते वह जा नहीं पाए. हालांकि इस बात को लेकर दिल्ली पुलिस ने मरकज़ को नोटिस भी दिया थाऔर मरक़ज़ का कहना है कि वो भी दिल्ली पुलिस के राब्ते में थे.
तब्लीगी जमात के मरकज पर आयोजित इस आयोजन में 280 से ज्यादा विदेशी नागरिकों समेत 19 प्रदेशों के 1830 लोग शामिल हुए थे. अंडमान से 21, असम से 216, बिहार से 86, हरियाणा से 22, हिमाचल से 15, हैदराबाद से 55, कर्नाटक से 45, महाराष्ट्र के 115, मेघालय में 5 और केरल से 15 लोग आए थे. इसके अलावा मध्य प्रदेश से 107, ओडिशा से 15, पंजाब से 9, राजस्थान से 19, झारखंड से 46, तमिलनाडु से 501, उत्तराखंड से 34, उत्तर प्रदेश से 156 और पश्चिम बंगाल से 73 लोग आए थे.
जमात का कहना है कि जिसदिन लॉक डाउन का निर्देश हुआ तब जो लोग मरकज में बच गए थे, उन्हें निकालने के लिए वाहनों का इंतजाम किया गया था. इन वाहनों की लिस्ट दिल्ली पुलिस को दी गई थी, ताकि वाहन पास मिल पाएं.
तब्लीगी जमात की स्थापना को लेकर एक इतिहास है. दरअसल इसकी स्थापना 1926-27 में की गई थी. हुआ कुछ यूं कि मुगल काल में कई लोगों ने इस्लाम कबूल कर लिया था. मुगल काल के बाद जब अंग्रेजों की हुकूमत देश पर हुई तो आर्य समाज द्वारा फिर उन लोगों का शुद्धिकरण कर उन्हें हिन्दू धर्म में प्रवेश कराने की शुरूआत की गई. इसी के मद्देनज़र दूसरी तरफ मौलाना इलियास कांधलवी ने मुसलमानों के बीच इस्लाम की शिक्षा देने के लिए तबलीगी जमात की स्थापना की. उन्होंने निजामुद्दीन में स्थित मस्जिद में कुछ लोगों के साथ तबलीगी जमात का गठन किया. इसे मुसलमानों को अपने धर्म में बनाए रखना और इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार और इसकी जानकारी देने के लिए शुरू किया.
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