शेयर बाजार में यस बैंक 75 प्रतिशत और SBI 12 प्रतिशत गिरा
नई दिल्ली (एजेंसी). शेयर बाजार (Share Market) में यस बैंक (Yes Bank) के शेयर 75 प्रतिशत और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के 12 प्रतिशत गिरने और सेंसेक्स के 1400 अंक नीचे जाने से महज 1 मिनिट में निवेशकों के 4 लाख करोड़ डूबने की खबर से निवेशकों में अफरा-तफरी का माहौल है। कोरोना वायरस की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था को यस बैंक संकट ने जोरदार झटका दिया है।
यह भी पढ़ें :
CBSE 10th Maths Paper : पढ़ें कैसे ला सकते हैं ज्यादा नंबर, Smple Paper Link भी देखें
इस पूरे मामले पर फायनेंशियल एक्स्पर्ट योगेश बागोरा बताते हैं कि एक और तो दुनियाभर में कहर मचा रहे कोरोना वायरस से वैश्विक बाजार बुरी तरह प्रभावित हैं वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था को यस बैंक संकट ने एक और बड़ा झटका दिया है। बैंक के जमाकर्ता परेशान है और RBI ने 3 अप्रैल तक 50 हजार से ज्यादा की रकम निकालने पर रोक लगा दी है साथ ही निदेशक मंडल को भी टेकओवर कर लिया है। हालांकि विशेष परिस्थतियों में 5 लाख रुपए तक निकाले जा सकेंगे।
यह भी पढ़ें :
यस बैंक फसा संकट में
बागोरा के अनुसार यह एक ऐसा समय है जब SBI cards के IPO के लिए सब्स्क्रिप्शन हो चुका है और इसे 20.81 गुना सब्सक्राइब किया गया था यानी मार्केट में इसे लेकर काफी उत्साह देखा गया। इसकी लिस्टिंग भी 16 तारीख को हो जाएगी। अक्टूबर 2017 में GIC RI के IPO के बाद एसबीआई कार्ड्स का आईपीओ सबसे बड़ा पब्लिक इश्यू है। ऐसे में जब SBI ने संकटग्रस्त बैंक में अपना हाथ डाला तो निवेशकों में हड़कंप मच गया। यही वजह रही कि शुक्रवार को जब बाजार खुला तो SBI के शेयरों में 12% की गिरावट देखी गई। YES बैंक का तो हाल ही बेहाल था और देखते ही देखते उसके शेयर 75 प्रतिशत तक गिर गए। कोरोना का कहर झेल रहे शेयर बाजारों पर इस घटना का बेहद बुरा असर पड़ा। मार्केट में इस समय नेगेटिव सेंटिमेंट है क्योंकि अब वित्तीय फर्मों में आशंका गहरा गया है कि कहीं विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से मुंह ना मोड़ लें।
यह भी पढ़ें :
RBI के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने भी पद छोड़ा
यह स्थिति हमें एक बार फिर 2008 की मंदी की याद दिलाती है। उस समय अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर में हुई उठापटक से पूरी दुनिया मंदी की चपेट में आ गई थी। इस वर्ष सेंसेक्स में 58.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले बाजारों में भारत भी शामिल था।
यह भी पढ़ें :
आतंकी मास्क बेचकर बना रहे हैं पैसा
माना जाता है कि उस समय भारतीय शेयर बाजार को उथलपुथल का एक बड़ा कारण रिलायंस पॉवर का IPO भी था जिसे बेहतरीन रिस्पॉन्स मिला था। रिलायंस के इस आईपीओ के लिए रिकॉर्ड आवेदन आए, मगर बाजार में आते ही यह धराशायी हो गया। लोगों को इस आईपीओ से बेहद उम्मीद थी, जो पलभर में धूल में मिल गई।
यह भी पढ़ें :
शादीशुदा आदमी से कभी प्यार मत करना : नीना गुप्ता
निवेशकों को बोनस शेयर देने की योजना भी रिलायंस के इस आईपीओ को सहारा देने में विफल रही। रिलायंस का हश्र देखकर कई दिग्गजों ने अपने आईपीओ को बाजार में लाने का फैसला टाल दिया था। वर्तमान स्थिति को देखते हुए एक बार फिर से सवाल उठ रहे हैं कि भारत, खासतौर पर मोदी सरकार इस संकट का सामना कैसे करेगी।
यह भी पढ़ें :