नई दिल्ली (एजेंसी). ब्रिटेन में बृहस्पतिवार को आम चुनाव हैं और शुक्रवार को इनके नतीजे आना है। इन चुनावों में मुख्य टक्कर सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी और मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी के बीच है। इस बार के चुनाव में दोनों ही पार्टियां भारतीय मूल के लोगों को लुभाने में लगी हैं। चुनाव प्रचार के दौरान ब्रेग्जिट के अलावा जलियांवाला बाग कांड से लेकर कश्मीर का मुद्दा छाया हुआ है। लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन के कश्मीर पर दिए बयान के बाद भारतीय मूल के लोगों में गुस्सा देखकर पार्टी ने जहां सफाई पेश करना शुरू किया वहीं उसने वादा किया कि यदि वह सत्ता में आई तो वह एक सदी पहले हुए जलियांवाला बाग नरसंहार पर भारत से औपचारिक माफी मांगेगी। लेबर पार्टी ने यह वादा सिर्फ दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के वोट हासिल करने के लिए किया है।
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जबकि दूसरी तरफ प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कंजरवेटिव पार्टी का रुख स्पष्ट करते हुए भारतीय मूल के लोगों को वीजा और वहां रह रहे लोगों के भारतीय रिश्तेदारों को रियायतें देने का वादा भी किया है। बोरिस जॉनसन को लेकर हिंदी गाना भी चुनाव प्रचार में वायरल किया गया है जिसमें पार्टी प्रत्याशी शैलेश वारा ने जॉनसन को जिताने की अपील की है।
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सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक वोट पड़ेंगे। मतदान केंद्र प्राथमिक स्कूल, कम्युनिटी हॉल और चर्चों को बनाया गया है। खास बात ये है कि यहां पर मतदान बैलट पेपर पर होता है। बैलट पेपर पर मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे क्त्रसॅस (एक्स) का साइन लगाना होता है और बैलट को सीलबंद बैलट बॉक्स में डालना होता है।
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ब्रिटेन में दक्षिण एशियाई वोटरों की कुल संख्या 30 लाख है। इनमें 15 लाख प्रवासी भारतीय हैं। इनका ध्रुवीकरण ब्रिटेन में चुनावी नतीजा प्रभावित करेगा। इनका वोट 48 सीटों के नतीजों को सीधे प्रभावित करेगा। इसलिए पार्टियां इस गुट की अहमियत स्वीकार करती हैं।
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अमेरिका की निगाहें भी ब्रिटेन के संसदीय चुनावों पर लगी है। यह चुनाव ब्रिटेन के अमेरिका से रिश्ते भी तय करेगा। यदि बोरिज जॉनसन जीतते हैं तो अमेरिका से ब्रिटेन के रिश्ते अच्छे होंगे और यदि जेरेमी कॉर्बिन जीतते हैं तो अमेरिका व अटलांटिक देशों से रिश्तों में कड़वाहट आएगी।
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