नई दिल्ली (एजेंसी). नागरिकता संशोधन विधेयक को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस मुद्दे पर कैबिनेट की बैठक संसद भवन के एनक्सी बिल्डिंग में हुई। सरकार शीतकालीन सत्र में ही इस बिल को पारित करवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। हालांकि एनआरसी के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक के कई प्रावधानों को लेकर विपक्ष पुरजोर विरोध करने की तैयारी में लगा हुआ है। इस बिल को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संसद में पेश करेंगे। माना जा रहा है कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस बिल का विरोध करेंगे। इससे संसद के दोनों सदनों में हंगामे के आसार बनते दिखाई दे रहे हैं।
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को 19 जुलाई 2016 को लोकसभा में पहली बार पेश किया गया था। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया था। समिति ने इस साल जनवरी में इस पर अपनी रिपोर्ट दी है।
अगर यह विधेयक पास हो जाता है, तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी गैरकानूनी प्रवासी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारतीय नागरिकता के योग्य हो जाएंगे। इसके अलावा इन तीन देशों के सभी छह धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता पाने के नियम में भी छूट दी जाएगी। ऐसे सभी प्रवासी जो छह साल से भारत में रह रहे होंगे, उन्हें यहां की नागरिकता मिल सकेगी। पहले यह समय सीमा 11 साल थी।