वॉशिंगटन: कोरोना संकट काल में अमेरिका में गृह युद्ध जैसे हालात हो गए हैं. एक अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के बाद भड़की हिंसा की आंच व्हाइट हाउस तक पहुंच चुकी है. रविवार को पत्थरबाजी के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सुरक्षित बंकर में ले जाया गया है. वॉशिंगटन, न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी समेत अमेरिका के चालीस शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है.
दरअसल, अमेरिका के मिनेपॉलिस में एक अश्वेत व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. पुलिस ने जब इस अश्वेत व्यक्ति को पकड़ा था तब उसका वीडियो वायरल हो गया और उसकी मौत के बाद मिनेपॉलिस हिंसा भड़क गई जो कि अमेरिका के कई राज्यों में फैल गई.
वाशिंगटन में बड़ी संख्या में लोग व्हाइट हाउस के बाहर एकत्रित होकर नारेबाजी करने लगे. प्रदर्शनकारियों ने प्लास्टिक की बोतलों में पानी भरकर पुलिसकर्मियों फेंकी. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. वहीं प्रदर्शनकारियों ने व्हाइट हाउस के नजदीक शेवरलेट की गाड़ियों में आग लगा दी. यह गाड़ियां पुलिस और विशेष सेवा के अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं. पुलिस ने बताया कि अभी तक पूरे अमेरिका 1400 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है.
मिनेपॉलिस में 26 मई को जॉर्ज फ्लॉयड नाम के शख्स को पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था. एक पुलिस अफसर ने सड़क पर अपने घुटने से फ्लॉयड की गर्दन को करीब आठ मिनट तक दबाए रखा. धीरे-धीरे फ्लॉयड की हरकत बंद हो जाती है. इस घटना वीडियो वायरल हो गया. वीडियो में 40 साल का जॉर्ज लगातार पुलिस अफसर से घुटना हटाने की गुहार लगाता रहा. इस दौरान आस-पास काफी भीड़ जमा होती है. उसे अस्पताल ले जाया जाता है, जहां उसकी मौत हो जाती है.
अमेरिका के मिनीपोलिस में उस श्वेत पुलिस अधिकारी को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया है. उसपर थर्ड डिग्री हत्या और मानव वध का आरोप लगाया गया. फ्लॉयड की मौत के बाद पूरे अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए.