हांगकांग: प्रत्यर्पण विधेयक को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन के बाद कानून अस्थायी रूप से स्थगित

हांगकांग (एजेंसी)। हांगकांग में लाखों लोग सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ये विरोध प्रदर्शन विवादास्पद प्रत्यर्पण विधेयक के कारण हो रहे हैं। आयोजकों का कहना है कि रविवार को हुई मार्च में बीस लाख लोग शामिल हुए हैं। जबकि बीते हफ्ते दस लाख 40 हजार लोग शामिल हुए थे। भयानक उमस भरी गर्मी के बीच प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान ‘बुरे कानून को वापस लेने’ के नारे लगाए। इस विधेयक को बीते हफ्ते तक पारित किया जाना था। लेकिन लोगों के भारी विरोध को देखते हुए बीजिंग समर्थक हांगकांग की नेता कैरी लाम ने शनिवार को कहा कि चीन को प्रत्यर्पण की अनुमति देने वाला ये विधेयक अब निलंबित रहेगा। उन्हें एक हफ्ते तक चले प्रदर्शन के बाद आखिरकार झुकना पड़ा।

हांगकांग को चीन के प्रत्यर्पण कानून के खिलाफ लड़ाई में बड़ी जीत हासिल हुई है। चीन के अधिकारियों के साथ लंबी चली बैठक के बाद हांगकांग की चीफ एक्जीक्यूटिव कैरी लैम ने कहा कि सरकार ने इस कानून को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है। चीन ने भी उनका समर्थन किया। पिछले कुछ सालों में चीन के पीछे हटने का शायद यह पहला मौका है। साल 2012 में शी जिनपिंग के हाथों में चीन की कमान आने के बाद राजनीतिक स्तर पर पहली बार चीन अपने कदम रोकता हुआ नजर आ रहा है।

इस विधेयक को रोकने के लिए लाम पर उनके राजनीतिक सहयोगियों और सलाहकारों का भी दबाव पड़ रहा था। लेकिन लोग अब भी विरोध खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि विधेयक को निलंबित नहीं बल्कि पूरी तरह से खत्म किया जाए।

इस कानून के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपराध करके हांगकांग आ जाता है को उसे जांच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए चीन भेज दिया जाएगा। हांगकांग की सरकार इस मौजूदा कानून में संशोधन के लिए फरवीर में प्रस्ताव लाई थी। कानून में संशोधन का प्रस्ताव एक घटना के बाद लाया गया। जिसमें एक व्यक्ति ने ताइवान में अपनी प्रमिका की कथित तौर पर हत्या कर दी और हांगकांग वापस आ गया।

हांगकांग की अगर बात की जाए तो यह चीन का एक स्वायत्त द्वीप है। चीन इसे अपने संप्रभु राज्य का हिस्सा मानता है। वहीं हांगकांग की ताइवान के साथ कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है। जिसके कारण हत्या के मुकदमे के लिए उस व्यक्ति को ताइवान भेजना मुश्किल है।

अगर ये कानून पास हो जाता है तो इससे चीन को उन क्षेत्रों में संदिग्धों को प्रत्यर्पित करने की अनुमति मिल जाएगी, जिनके साथ हांगकांग के समझौते नहीं हैं। जैसे संबंधित अपराधी को ताइवान और मकाऊ भी प्रत्यर्पित किया जा सकेगा।

1997 में जब ब्रिटेन ने चीन को हांगकांग सौंपा था तो इस शहर की स्वतंत्रता बनाए रखने को लेकर कुछ शर्तें रखी गई थीं। जैसे हांगकांग के पास अपने अलग चुनाव, अपनी मुद्रा, प्रवासियों से जुड़े नियम और अपनी न्यायिक प्रणाली होगी। लेकिन बीते 20 साल में हांगकांग की चीन समर्थित असेंबली ने न सिर्फ इसकी इस आजादी को खत्म करने की कोशिश की है बल्कि काफी हद तक उसे सफलता भी मिली है।

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