वाहन उद्योग में मंदी, 10 लाख नौकरियों पर खतरा, छंटनी की प्रक्रिया शुरू

नई दिल्ली (एजेंसी)। देश में वाहनों की मांग में कमी आने से वाहन उद्योग कई महीनों से सुस्ती की चपेट में है। इस कारण वाहनों के लिए कलपुर्जे बनाने वाला उद्योग भी मंदी के दौर से गुजर रहा है, जिससे आने वाले समय में करीब 10 लाख नौकरियों पर खतरा है। वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं को अखिल भारतीय संगठन एसीएमए ने बुधवार को सरकार से वाहन उद्योग के लिए जीएसटी की दर एक समान 18 फीसदी करने का अनुरोध किया ताकि मांग में कमी से मंदी के दौर से गुजर रहे वाहन उद्योग को उबरने और 10 लाख नौकरियों को बचाने में मदद मिले। उन्होंने सरकार से इलेक्ट्रिक वाहनों (ई-वाहन) पर अपनी नीति स्पष्ट करने की मांग की। वाहन कलपुर्जा उद्योग करीब 50 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है।

एसीएमए अध्यक्ष राम वेंकटरमानी ने कहा कि वाहन उद्योग अभूतपूर्व मंदी के दौर से गुजर रहा है। पिछले कई महीनों से सभी प्रकार के वाहनों की बिक्री में गिरावट आई है। वाहन कलपुर्जा उद्योग पूरी तरह वाहन उद्योग पर निर्भर है। मौजूदा स्थिति में वाहन उत्पादन में 15-20 फीसदी की कटौती से कलपुर्जा उद्योग के सामने संकट की स्थति पैदा हो गई है। अगर ऐसे ही हालात रहे तो करीब 10 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं। कुछ स्थानों पर छंटनी की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

वेंकटरमानी ने कहा कि जीएसटी प्रणाली के तहत पहले से ही करीब 70 फीसदी वाहन कलपुर्जों पर 18 फीसदी जीएसटी लग रहा है। बाकी बचे 30 फीसदी पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। इसके अलावा 28 फीसदी जीएसटी के साथ वाहनों की लंबाई, इंजन के आकार-प्रकार के आधार पर वाहनों पर एक से 15 फीसदी का उपकर भी लग रहा है। उन्होंने कहा कि मांग में कमी, बीएस-4 से बीएस-6 उत्सर्जन मानकों के लिए हाल ही में किए गए निवेश, ई-वाहन नीति पर अस्पष्टता से वाहन उद्योग में अनिश्चितता का माहौल है। इस वजह से भविष्य के सभी निवेश रुक गए हैं।

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