चाइनीज ई-कॉमर्स कंपनियों से खरीदारी पर सरकार लगा सकती है 50 फीसदी ज्यादा टैक्स

नई दिल्ली (एजेंसी)। अलीबाबा, क्लब फैक्ट्री, अलीएक्सप्रेस और शीन जैसी चाइनीज ई-कॉमर्स कंपनियों से खरीदारी करने पर ग्राहकों को जल्द ही 50 फीसदी तक ज्यादा जीएसटी (उत्पाद एवं सेवा कर) और सीमा शुल्क देना पड़ सकता है। ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए उत्पादों के अवैध आयात को रोकने के लिए कर विभाग चाइनीज ई-कॉमर्स कंपनियों से खरीदे जाने वाले उत्पादों पर आईजीएसटी (एकीकृत उत्पाद एवं सेवा कर) और सीमा शुल्क लगाने की संभावनाएं तलाश रहा है। इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस अतिरिक्त टैक्स का भुगतान चाइनीज ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट से खरीदारी करने वाले ग्राहकों को करना होगा। पिछले एक साल में सीमा शुल्क विभाग ने कई ऐसे आयातित उत्पादों को जब्त किया है, जिन्हें उपहार के रूप में भारत लाया जा रहा था।

दरअसल, भारतीय कानून में यह प्रावधान है कि किसी देश से 5,000 रुपये से कम के उपहार मंगाने पर सीमा शुल्क नहीं लगता है। सूत्रों का कहना है कि चीन और दूसरे अन्य देशों की ई-कॉमर्स कंपनियों इसी नियम का लाभ उठाते हुए बिना सीमा शुल्क दिए अपने उत्पाद भारत भेज रही हैं। अलीबाबा, क्लब फैक्ट्री, अलीएक्सप्रेस और शीन जैसी चाइनीज ई-कॉमर्स कंपनियों पर कर विभाग की नजर है। सरकार के इस कदम से उनका कारोबार प्रभावित होगा।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस योजना में पेमेंट गेटवे को शामिल करना चाहती है। इससे ग्राहक जब भुगतान करेंगे तो कीमतों में आईजीएसटी और सीमा शुल्क भी शामिल हो जाएंगे। उनका कहना है कि सरकार एक ऐसा प्लटफॉर्म बनाना चाहती है, जिससे पेमेंट गेटवे भी जुड़े हों। इससे ग्राहक जब भी अपने ऑर्डर के लिए टैक्स का भुगतान करेंगे तो एक प्लेटफॉर्म से बारकोड मिलेगा। इसी बार कोड का इस्तेमाल उत्पाद को भारत भेजने में किया जा सकता है।

सरकार अभी तक तय नहीं कर पाई है कि सिर्फ एक मिश्रित टैक्स लगाया जाए या उत्पादों की श्रेणी के हिसाब से अलग-अलग टैक्स। हालांकि, कानून के विशेषज्ञों का कहना है कि सभी श्रेणी के उत्पादों पर समान टैक्स लगाने से परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। चीन या दूसरे देशों की ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट से भारतीयों की ओर से खरीदे उत्पाद को लाना अहम है, लेकिन इसके लिए एक समान टैक्स लगाने में कुछ तकनीक समस्याएं आ सकती हैं। साथ ही ध्यान रखना होगा कि टैक्स की प्रस्तावित ऊंची दर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के दिशानिर्देश का उल्लंघन न करती हो।

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