नई दिल्ली (एजेंसी)। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। जिसमें एसआईटी जांच की मांग की गई है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह को उस दौरान विदेशों से फंड मिला जब वह यूपीए कार्यकाल के दौरान 2009-2014 के बीच एडिशनल सॉलिसिटर जनरल का संवेदनशील पद संभाल रही थीं। इस मामले को लेकर इंदिरा जयसिंह के समर्थन वाले एनजीओ ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि उनके खिलाफ यह याचिका परेशान करने के उद्देश्य से दायर की गई है। इसके पीछे वजह बताई गई है कि उन्होंने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला का वकील के तौर पर प्रतिनिधित्व किया था। बयान में कहा गया है, ‘यह साफ तौर पर जयसिंह के उत्पीड़न जैसा ही है, जिन्होंने मुख्य न्यायाधीश पर आरोप लगाने वाली महिला का केस लिया था।’
जयसिंह के खिलाफ याचिकाकर्ता वरिष्ठ वकील पुरुषेंद्र कौरव ने गृह मंत्रालय के 31 मई, 2016 और 27 नवंबर, 2016 के आदेशों का हवाला देते हुए अदालत में कहा, ‘जयसिंह और आनंद ग्रोवर (सचिव और एनजीओ लॉयर्स कलेक्टिव के अध्यक्ष) ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) का उल्लंघन करके धन हासिल किया। इसके अलावा उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हुए सांसदों और मीडिया के जरिए लॉबिंग करके कई महत्वपूर्ण निर्णयों और नीति निर्धारण को प्रभावित करने की कोशिश की।’
याचिका में कहा गया है कि यह तब हुआ जब जयसिंह भारत सरकार में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल का पद संभाल रही थीं। इस पद पर तैनात शख्स अपनी कानूनी राय के जरिए सरकार की नीति को बदलने में एक भूमिका निभा सकता है। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने 2016 से अबतक एफसीआरए के उल्लंघन के तहत मामले की जांच नहीं की।