लॉकडाउन का चौथा दिन, बस के आते ही दौड़ पड़ते हैं लोग, पुलिस परेशान

लॉकडाउन बेअसर घरों कि ओर पैदल ही निकल पड़े लोग, सकते में शासन

नई दिल्ली(एजेंसी) :लॉकडाउन (Lockdown) :आज देशव्यापी लॉकडाउन का चौथा दिन है और इन चार दिनों में जनता के उस वर्ग के बीच सबसे ज्यादा बेचैनी देखी जा रही है जिनकी लॉकडाउन के चलते नौकरी या तो छूट गई है या फिर कंपनियां और फैक्टरियां बंद हो गई हैं। ऐसे लोग बड़ी संख्या में शहरों को छोड़कर पैदल ही अपने गृहनगर जा रहे हैं। इनकी संख्या के अनुसार राज्यों द्वारा किए इंतजाम नाकाफी नजर आ रहे हैं। वहीं सरकारें, पुलिस प्रशासन ये भी प्रयास कर रहे हैं कि लोग जहां हैं वहीं रह जाएं लेकिन लोग अपने घरों की ओर ही लौटना चाहते हैं।

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लॉक डाउन के कारण अपने अपने गंतव्य को जा रहे मजदूरों व कामगारों की मदद के लिए जहां नरोरा  में नगर पंचायत, पुलिस व समाजसेवी असहाय लोगों के सहयोग में लगे हैं वही दूसरी ओर संभल जनपद के गुन्नौर कोतवाल ने नरौरा से गुन्नौर सीमा में प्रवेश करने वाले पैदल राहगीरों को लाठियां फटकारते हुए नरौरा सीमा में घुसा दिया। साथ ही नरौरा के गांधी घाट इलाके में गुन्नौर पुलिस ने दबंगई करते हुए गुन्नौर जा रहे यात्री वाहनों को रोककर उनको खाली करा दिया। गुन्नौर कोतवाल पुलिस बल के साथ नरोरा के गांधी घाट क्षेत्र में आकर लाठी लेकर खड़े हो गए और अपनी दबंगई दिखाते रहे। लगभग 2 घंटे में गांधी घाट पर एक हजार से अधिक की भीड़ जमा हो गई। मौके पर पहुंचे नरोरा इंस्पेक्टर की  गुन्नौर कोतवाल से वार्तालाप हई, लेकिन वह अड़े रहे।  जिससे नरौरा गांधीघाट पर भारी भीड़ जमा हो गई। हलकान, परेशान और बेबस यात्रियों में महिला व बच्चे परेशान रहे।

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मीडियाकर्मी भी वहां पहुंचे गुन्नौर कोतवाली  से उनके सीमा क्षेत्र पर बात की गई, लेकिन वह हठधर्मिता से बुलंदशहर जनपद में ही गांधी घाट पर खड़े रहे। बिना वर्दी व मास्क लगाए खड़े गुन्नौर कोतवाल सीमा व वर्दी और मास्क के सवालों पर तरीके से जबाव नहीं दे पाए। नरौरा इंस्पेक्टर दिनेशचंद्र शर्मा ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया और नरौरा से व गुन्नौर से निजी बसें मंगाकर यात्रियों को उनके गंतव्य को रवाना कर  व्यवस्था कर दी गई है।

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लॉकडाउन के दौरान गुरुग्राम, गाजियाबाद, नोएडा की सीमाएं तो सील कर दी गई हैं, लेकिन पलायन करती भीड़ को सहूलियत के नाम पर पैदल सीमाओं को लांघने की इजाजत है। हैरत की बात तो यह है कि बसें सड़कों पर दिख भी रही हैं तो बॉर्डर तक भी पहुंचने के लिए इन बसों में सफर करने की इजाजत नहीं है। डीटीसी-क्लस्टर ड्राइवर कंडक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष चांद बाबू गोला ने कहा कि अभी भी सड़कों पर खाली बसें दौड़ रही हैं। लेकिन इन बसों में केवल जरूरी कार्यों के लिए आने जाने वाले कर्मियों को आईडी कार्ड दिखाने के बाद ही आने जाने की इजाजत दी जा रही हैं।

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एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि लॉकडाउनके दौरान लगी पाबंदी के बाद आखिरकार यात्रियों की सुविधा में इस्तेमाल होने वाली बसें खाली होने के बावजूद जनसैलाब पैदल है और बसें खाली। इससे न तो संक्रमण पर शिकंजा कसेगा और न ही सरकार की आय में बढ़ोतरी होगी।अंतरराज्यीय बसों का अगर संचालन होने की वजह से दूसरे शहरों के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में दिहाड़ीदार श्रमिक अपने परिवार के साथ रोटी के लिए अब अपने गांव के लिए पलायन कर रहे हैं। आगे सैकड़ों किलोमीटर का पैदल चलने के जज्बे के साथ आगे बढ़ने वाले दिल्ली की सीमाओं पर भी पैदल चलने को विवश हैं।

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली से जा रहे लोगों से अपील की है कि वह दिल्ली न छोड़ें। दिल्ली सरकार उनके खाने का इंतजाम कर रही है। शनिवार से चार लाख लोगों को सरकार खाना खिलाएगी। वहीं, करीब आठ लाख लोगों की बढ़ी हुई पेंशन उनके खाते में डाल दी गई है। इसके अलावा राशन कार्ड धारकों को मुफ्त राशन भी दिया जा रहा है। उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ उच्च स्तरीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि 325 स्कूलों में सरकार दोपहर व शाम का खाना बंटवाएगी। वहीं पहले से चल रहे रैन बसेरों में मुफ्त खाने की सुविधा चलती रहेगी। दिल्ली सरकार अभी तक हर दिन 20 हजार लोगों को अपने 224 रैन बसेरों में खाना बना कर खिला रही है। सरकार ने 325 स्कूलों में दोपहर और रात में 500-500 लोगों के खाने का इंतजाम किया है। वहीं 224 रैन बसेरों में भी खाने की मात्रा बढ़ाई गई है।

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मुख्यमंत्री ने बताया कि विधायकों को अपने क्षेत्र में भूखों को खाना खिलाने की जिम्मेदारी दी गई है। इन्हें समाज के लोगों के साथ मिलकर सुनिश्चित करना है कि कोई मजदूर या गरीब कोई भूखा न सोए। हालांकि खाना खिलाते वक्त सामाजिक दूरी बनाए रखना है। ऐसा न हो कि कोरोना वहीं से फैलना शुरू हो जाए। ऐसे में यह लॉक डाउन बेकार चला जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि बुजुर्ग, विधवा व दिव्यांग की पांच-पांच हजार रुपये की पेंशन उनके खाते में डाल दी गई है। इनकी संख्या करीब 9 लाख है। अगले महीने की पेंशन भी एक हफ्ते में खाते में पहुंच जाएगी। दिल्ली वाले मिलकर कोरोना के संकट से पार पाएंगे।

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अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले दो-तीन दिनों से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी के सोशल मीडिया पर संदेश आ रहे हैं। वे कह रहे हैं कि झारखंड और बंगाल के जितने लोग दिल्ली में रह रहे हैं, उनका ख्याल रखिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में यूपी और बिहार के लोग भी रह रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं में जो लोग हैं, उन सभी लोगों की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है। यह सभी लोग बिहार, झारखंड, बंगाल, तमिलनाडु, केरला या कहीं के रहने वाले हों, लेकिन अब वो दिल्ली के हैं। आप सभी बिल्कुल चिंता मत कीजिए। एक-एक व्यक्ति का दिल्ली सरकार ख्याल रखेगी। एक-दो दिन कुछ दिक्कतें आई थीं, लेकिन अब किसी को खाने की दिक्कत नहीं होने देंगे।

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