रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की सर्वाधिक प्राचीन व प्रथम दादाबाड़ी रायपुर (Dadabadi Raipur) के नव स्वरूप में भव्यतम निर्माण के लिए एमजी रोड स्थित श्री जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी परिसर में शनिवार को ‘प्रथम पाषाण स्थापना महोत्सव‘ परम पूज्य अध्यात्म योगी महेन्द्र सागरजी महाराज, युवा मनीषी मनीष सागरजी महाराज एवं साधु-साध्वी भगवंतों की पावन निश्रा में विधिवत मंत्रोच्चार व पूजन विधि के साथ आरंभ हुआ।
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इस पावन अवसर पर मकराना-राजस्थान से मंगवाए गए संगमरमर पत्थरों में धर्मनाथ भगवान के प्राचीन व नव मंदिरों के प्रथम पाषाण सहित मुनि सुव्रत स्वामी मंदिर, नाकोड़ा भैरव मंदिर एवं मां पद्मावति के मंदिरों के प्रथम पाषाणों का अभिषेक लाभार्थी परिवारों द्वारा विभिन्न तीर्थों से लाए गए जल से किया गया। तदुपरांत इन पाषाणों की अष्टप्रकारी पूजा कर विधिवत मंत्रोच्चार सहित भावोल्लास पूर्वक उनकी स्थापना की गई।
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श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टी गण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त रूप से जानकारी देते हुए बताया कि जिन मंदिर के लिए नींव निर्माण के पश्चात् धर्म शास्त्रोक्त परम्परानुसार प्रथम पाषाण की स्थापना का आज दुर्लभ पुण्य अवसर रहा. महोत्सव का शुभारंभ प्रात:काल 8 बजे स्नात्र पूजन से हुआ। दोपहर 12.30 बजे से प्रथम पाषाण का पूजन एवं स्थापना विधि अहमदाबाद के विधिकारक निकुंज भाई एवं रायपुर के विमल गोलछा के मार्गदर्शन में लाभार्थी परिवारों द्वारा भावोल्लास से की गई। इस पूरे अनुष्ठान का समापन सकल संघ के स्वामी वात्सल्य से हुआ।
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