रामानंद सागर को रामायण के इस सीन के बाद करना पड़ा था कई कानूनी मामलों का सामना

नई दिल्ली(एजेंसी) :रामानंद सागर की रामायण के दोबारा प्रसारण ने टीवी टीआरपी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. रामायण का पहली बार प्रसारण 1987 में हुआ था. इसमें अरुण गोवि, सुनिल लाहिरी और दीपिका चिखलिया लीड रोल में थे. एक इंटरव्यू के दौरान दीपिका और सुनील दोनों से पूछा गया कि क्या उन्हें कभी सीता की अग्निपरीक्षा, या धोबी की कहानी से संबंधित सवालों का सामना करना पड़ा है, जो वर्षों से बहस का विषय बना हुआ है.

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रामानंद सागर की रामायण में सीता का किरदार निभाने वाली दीपिका चिखलिया ने कहा,’प्रत्येक मदर्स डे, वुमेन्स डे पर लोग अवला नारी की बात करते हैं, मैंने कभी सीता के बारे में नहीं सुना. उसमें (रामायण) ये मौलिक अंधकार था और जब लोग सुनने के लिए तैयार नहीं होते हैं, तो यह समझाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन जब वह इसे दोबारा देख रहे हैं, तब अधिकांश लोगों को महसूस हो रहा है कि उन्होंने रामायण और धोबी की इन कहानियों को गलत समझा था. अब लोग वास्तविकता को जान रहे हैं. और हां इन वर्षों में अपने आप को समझाती रहीं हैं. अब, मैं महसूस करती हूं कि मेरा जीवन बहुत सरल हो गया क्योंकि लोग जानते हैं क्या हुआ था और क्यों.’

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रामानंद सागर की रामायण में लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले सुनील लाहिरी ने कहा, ‘मेरी सागर साहब से अग्निपरीक्षा वाले सीन को लेकर थोड़ी चर्चा भी हुई थी. मैं सागर सर के पास गया और कहा कि इस सीन को क्यों किया जा रहा है? राम भगवान है और उन्हें पता है कि सीता पवित्र है, तो यह अग्निपरीक्षा क्यों? मैंने उनसे पूछा कि क्या इससे समाज में गलत संदेश नहीं जाएगा? उन्होंने इसका जवाब दिया, जो भी आपने स्क्रीन पर देखा. इसमें थोड़ा सुधार करूंगा कि इस सीन के लिए इस सीन के लिए राम पर लक्ष्मण को गुस्सा आया था.’

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इसके बाद दीपिका ने कहा कि सागर साहब के खिलाफ बहुत सारे केस चल रहे थे. उन्होंने कहा, ‘दरअसल, धोबी की कहानी मूल रामायण का हिस्सा नहीं थी. यह एक लोक कहानी थी. कई सालों से, यह एक कहानी में बदल गई. पापाजी(रामानंद सागर) के खिलाफ कई केस थे. जब हम उत्तर रामायण शूट कर रहे थे, वह वहां नहीं होते थे क्योंकि कोर्ट और शूट के बीच उनका आना-जाना लगा रहता था. लोगों के बीच बहुत रोष था, ऐसे विद्वान थे जिन्होंने इस संस्करण को स्वीकार नहीं किया.

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