भोपाल (एजेंसी). मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने में तो भाजपा कामयाब हो गई. अब उसके सामने चुनौती है कौन होगा मुख्यमंती शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) या नरेंद्र सिंह तोमार (Narendra Singh Tomar) ? पार्टी आलाकमान अभी तक किसी को हरी झंडी नहीं दी हैं. इस बीच आज पार्टी विधायक दल की बैठक भोपाल में होने वाली हैं. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नाम पर मुहर लग सकती हैं.
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पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर अभी तक पार्टी शीर्ष नेतृत्व का ग्रीन सिग्नल नहीं मिला है. इस बीच कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी में मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के लिए सिर्फ शिवराज सिंह चौहान ही एकमात्र विकल्प नहीं है. लेकिन पार्टी विधायक दल की बैठक के बाद उनके नाम पर मुहर लगने की संभावना सबसे अधिक हैं.
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शिवराज सिंह लोकप्रिय चेहरा
मध्य प्रदेश की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान सबसे लोकप्रिय चेहरा माने जाते हैं. इसके साथ ही बीजेपी और आरएसएस काडर में भी उनका वर्चस्व है. राज्य की जनता के बीच उन्हें ‘मामाजी’ की ख्याति प्राप्त है. यानी एक मुख्यमंत्री के लिहाज से उनका चेहरा फिट माना जाता है. दूसरी तरफ कांग्रेस की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले कांग्रेस के 22 बागी विधायक भी बीजेपी में आ चुके हैं. इन सभी विधायकों के इस्तीफे हुए हैं, लिहाजा इनकी सीटों पर उपचुनाव भी होने हैं. दो सीटें पहले से ही खाली हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए ये उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण रहने वाले हैं. बीजेपी कांग्रेस की सरकार तो गिरा चुकी है, लेकिन उसे सत्ता चलाने के लिए उपचुनाव में जीत दर्ज करनी होगी.
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चुनाव में जीत के अलावा कांग्रेस से बीजेपी के पाले में आए विधायकों को किस तरह सीटों पर फिट किया जाएगा ये भी एक चुनौती है. क्योंकि इन सभी सीटों पर बीजेपी को अपने नेताओं को भी मनाना होगा. इसके साथ ही कैबिनेट में संतुलन बनाना भी एक बड़ा टास्क होगा. इस तमाम पेचीदगियों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए माना जा रहा है कि बीजेपी हाईकमान शायद किसी नए चेहरे को ना उतारे और शिवराज के नाम पर ही अंतिम मुहर लगाई जाए. ऐसा इसलिए भी क्योंकि कमलनाथ से पहले शिवराज 13 साल तक सीएम रहे हैं और मंत्रियों व विधायकों से उनके रिश्ते भी अच्छे हैं. ऐसे में वो सत्ता का संतुलन बिठाने में सफलता पा सकते हैं.
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हालांकि, इन सबके बीच कुछ फैक्टर शिवराज सिंह के खिलाफ जा सकते हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि दिसंबर 2018 में शिवराज सिंह के नाम पर बीजेपी जिस एमपी में सरकार नहीं बना पाई, उसी राज्य में जब नरेंद्र मोदी के नाम पर मई 2019 में चुनाव हुए तो बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला. इसके बाद कमलनाथ सरकार को आउट करने की पूरी पटकथा भी दिल्ली के नेताओं के यहां लिखी गई. यानी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का आवास मिशन एमपी सरकार का केंद्र रहा. इसके अलावा एक तथ्य ये भी है कि अगर शिवराज सिंह को फिर से मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो ये उनका चौथा कार्यकाल होगा. इस तरह शिवराज सिंह चौहान नरेंद्र मोदी के सीएम रिकॉर्ड से भी आगे निकल जाएंगे.
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