मकर संक्रांति 15 को, तिथि बदलना हैं खगोलीय घटना

पढ़ें क्या हैं ‘मकर संक्रांति’ कथा, कैसे होगा आर्थिक समस्या का समाधान   

ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे

रायपुर (अविरल समाचार)|  मंगलवार 14 जनवरी को  रात्री 2.06 बजे सूर्य के मकर राशी में प्रवेश करते ही सूर्य उत्तरायण का हो जायेगा, अर्थात सूर्य पृथ्वी के उत्तरी भाग में अपना अधिकाधिक प्रकाश उत्सर्जित करेगा| लगभग पाँच माह तक यही स्थिती बनी रहेगी और उसके पश्चात मई माह में कर्क राशी में प्रवेश करते ही सूर्य दक्षिणायन का हो जायेगा| इसलिए इस वर्ष मकर संक्रांति (Makar Sankranti) 15 जनवरी बुधवार को पड़ रही हैं. आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे से की क्या हैं मकर संक्रांति की कथा और इस दिन कैसे आप अपनी आर्थिक समस्या का समाधान कर सकते हैं.

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“मुहुर्त चिंतामणी” ग्रंथ के अनुसार जब  सूर्य  मध्य रात्री में मकर राशी में प्रवेश करता है तो प्रवेश करने के पूर्व और पश्चात, 16 दंड याने लगभग 384 मिनट का पूण्य काल होता है| याने रात्री 2.06 बजे के 6 घंटे 24 मिनट पहले और बाद तक पूण्यकाल रहेगा| सूर्य का यह संक्रमण शुक्र प्रधान पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में और शोभन योग में हो रहा है जो की सभी के लिए अत्यंत लाभप्रद है|

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संक्रांति की तिथि बदलना, खगोलीय घटना है|

कुल बारह राशियां है और बारह माह भी है| सूर्य प्रत्येक माह अपनी राशी बदलता है| प्रत्येक साशी में 30 अंश होते है | इस तरह से हम देखते है कि सुर्य का एक दिन 1 अंश के बराबर होता है और इसीलिये वह 30 अंश पूरे होते ही राशी बदलता है | पृथ्वी सौर मंडल में अपने अक्ष पर तो घूमती ही है, साथ ही लट्टू की तरह अक्ष पर घूमते हुए अपने स्थान में भी परिवर्तन करती रहती है| सूर्य के सापेक्ष पृथ्वी के इस व्यव्हार के कारण लगभग प्रत्येक 27500 वर्ष के पश्चात पृथ्वी के स्थान में व्यापक परिवर्तन आ जाता है| इसी के कारण सौर स्थिती पर आधारित इस पर्व की तिथी में भी परिवर्तन आता है|

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पिछली एक शताब्दी में वे वर्ष जिनमें मकर संक्रांती 13 तारीख को पडी वे तिथियां इस प्रकार हैं : 1900, 01, 02, 1905, 06, 09, 10, 13, 14, 17, 18, 21, 22, 25, 26, 29, 33, 37, 41, 45, 49, 53, 57, 61 1965 ।

निम्न वर्षों में संक्रांती 15 तारीख को पडेगी: 2016, 20, 21, 24, 28, 32, 36, 40, 44, 47, 48, 51, 52, 55, 56, 59, 60, 63, 64, 67, 68, 71, 72, 75, 76, 79, 80, 83, 84,86, 87, 88, 90, 91, 92, 94, 95, 99 तथा 2100 । इस सदी में शेष सभी वर्षों में मकर संक्रांती 14 तारीख को ही पडेगी।

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पौराणिक कहानी: तिल का महत्त्व

एक कथा के अनुसार शनि देव को उनके पिता सूर्य देव पसंद नहीं करते थे। इसी कारण सूर्य देव ने शनि देव और उनकी मां छाया को अपने से अलग कर दिया। इस बात से क्रोध में आकर शनि और उनकी मां ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे दिया।

पिता को कुष्ठ रोग में पीड़ित देख सूर्य भगवान की दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज ने तपस्या की। यमराज की तपस्या से सूर्यदेव कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए। लेकिन सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और उनकी माता के घर ‘कुंभ’, जो की शनि प्रधान राशी है, को जला दिया। इससे माता छाया और पुत्र शनि  दोनों को बहुत कष्ट हुआ।

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यमराज ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि को कष्ट में देख उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को समझाया। यमराज की बात मान सूर्य देव शनि से मिलने उनके घर पहुंचे। कुंभ में आग लगाने के बाद वहां काले तिल के अलावा सब कुछ जल गया था। इसीलिए शनि देव ने अपने पिता सूर्य देव की पूजा काले तिल से की। इसके बाद सूर्य देव ने शनि को उनका दूसरा घर ‘मकर’ दिया।

मान्यता है कि शनि देव को तिल की वजह से ही उनके पिता, घर और सुख की प्राप्ति हुई, तभी से मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा के साथ तिल का बड़ा महत्व माना जाता है।

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ऐसे होगा आर्थिक समस्या का समाधान

यदि आप रोजगार की स्थिती से परेशान है और आर्थिक समस्या,ऋण सम्बंधी समस्या से भी ग्रस्त है तो रविवार को यह उपाय करें:

उपाय:-

||ह्रीं श्रीं आदित्य वर्णे तपसोधि जातों ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:

लाल आसन पर बैठ कर इस मंत्र का जाप करें| तत्पश्चात शिवालय में जाकर शिव मंत्रों का जाप करते हुए जल चढाये| साय्ंकाल लक्ष्मी नारायण के मन्दिर में जाकर एक   नारियल पर हल्दी से स्वास्तिक बनाकर अर्पित करें| अवश्य लाभ होगा|

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