नई दिल्ली(एजेंसी): रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि चीन के साथ दशकों पुराने सीमा विवाद का भारत ‘‘जल्द से जल्द’’ समाधान चाहता है. साथ ही उन्होंने पूर्वी लद्दाख में जारी ‘‘संघर्ष’’ को खत्म करने के लिए चीन और भारत की सेनाओं के बीच पिछले हफ्ते हुई उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता को ‘‘सकारात्मक’’ बताया.
गलवान घाटी और पैंगोंग सो सहित पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में दोनों सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के बीच उनका बयान आया है जिससे संकेत मिलते हैं कि भारत गतिरोध से कड़ाई से निपटेगा.
महाराष्ट्र के लोगों को ‘डिजिटल रैली’ के माध्यम से संबोधित करते हुए सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस बयान की भी कड़ी आलोचना की कि सरकार को मुद्दे को ‘‘स्पष्ट करना’’ चाहिए और देश को बताना चाहिए कि चीन के साथ सीमा पर क्या हो रहा है.
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘छह जून को हुई वार्ता काफी सकारात्मक रही. भारत और चीन ने वर्तमान संघर्ष सहित सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए वार्ता जारी रखने पर सहमति जताई है. मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि देश का नेतृत्व मजबूत हाथों में है और हम किसी भी कीमत पर भारत के गौरव तथा स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगे.’’
विपक्ष पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि देश का नेतृत्व नरेन्द्र मोदी जैसे मजबूत व्यक्ति के हाथ में है और ‘‘हमें यह बताने का प्रयास मत कीजिए कि क्या करना है.’’
चीन के साथ दशकों पुराने पर सीमा विवाद पर सिंह ने कहा कि भारत इसका ‘‘समाधान जल्द से जल्द चाहता है.’’ उन्होंने कहा कि वर्तमान में जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों के बीच सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ता जारी है.
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी के मान, सम्मान पर न चोट पहुंचाते हैं और न अपने मान, सम्मान और स्वाभिमान पर चोट बर्दाश्त कर सकते हैं. इसलिए विपक्ष को कहता हूं कि भारत-चीन मामले पर हमें ज्यादा समझाने की कोशिश मत कीजिए.’’
गांधी के बयान पर सिंह ने कहा कि इस तरह के मुद्दे पर पूरे देश को एकजुट होना चाहिए और हमें अपने सशस्त्र बलों की क्षमता पर भरोसा है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सोच भी नहीं सकता कि कोई भी नेता देश की सुरक्षा के मुद्दे पर इस तरह का बयान देगा… रक्षा मंत्री के तौर पर मुझे जो कहना है, मैं संसद में कहूंगा.’’
सिंह ने कहा, ‘‘हमें बताने का प्रयास मत कीजिए (हमारी जवाबदेही के बारे में). दोनों देशों के बीच विवाद है और पूरे देश को एकजुट खड़ा होना चाहिए.’’
पैंगोंग सो में पांच मई को हिंसक संघर्ष होने के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच एक महीने से अधिक समय से गतिरोध जारी है, जो डोकलाम में 2017 में हुए सैन्य गतिरोध के बाद सबसे बड़ा गतिरोध बनता जा रहा है.