पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी को आज किया जाएगा भारत रत्न से सम्मानित, नानाजी देशमुख व भूपेन हजारिका को भी मरणोपरांत सम्मान

नई दिल्ली (एजेंसी)। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आज राष्ट्रपति भवन में होने वाले एक कार्यक्रम में भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ ही जनसंघ के नेता नाना जी देशमुख और प्रख्‍यात गायक, संगीतकार और गीतकार भूपेन हजारिका को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। भारत रत्न सम्मान का एलान गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को किया गया था।


भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति बनने से पहले वित्त मंत्रालय और अन्य आर्थिक मंत्रालयों में राष्ट्रीय और आन्तरिक रूप से उनके नेतृत्व का लोहा माना गया है। उन्हें कांग्रेस पार्टी का संकटमोचक कहा जाता था। कांग्रेस नेतृत्व की तीन पीढ़ियों के साथ काम करने वाले गिने चुने नेताओं में रहे। वह लंबे समय के लिए देश की आर्थिक नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। उनके नेत़त्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव अर्जित किया था।

सन 1980-1985 के दौरान प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में उन्होंने केन्द्रीय मंत्रीमंडल की बैठकों की अध्यक्षता भी की। प्रणब मुखर्जी को साल 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका है। इतना ही नहीं मुखर्जी को साल 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड भी मिला था। न्यूयॉर्क से प्रकाशित पत्रिका, यूरोमनी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, साल 1984 में दुनिया के पांच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक प्रणव मुखर्जी भी थे।


नानाजी देशमुख जनसंघ के संस्थापकों में शामिल थे। वह एक समाजसेवी थे। 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी-मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया था। लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था। अटल के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये 1999 में पद्म विभूषण भी प्रदान किया था। तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने नानाजी देशमुख और उनके संगठन दीनदयाल शोध संस्थान की प्रशंसा की थी। नानाजी देशमुख ने 95 साल की उम्र में चित्रकूट स्थित भारत के पहले ग्रामीण विश्वविद्यालय (जिसकी स्थापना उन्होंने खुद की थी) में रहते हुए अन्तिम सांस ली।


भूपेन हजारिका भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे। वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। हजारिका को साल 1975 में सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

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