पितृ पक्ष में पितरों के प्रति श्रद्धा ही श्राद्ध की भावना
ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे
(अविरल समाचार). पितृ पक्ष (pitru paksh) में दोपहर के समय श्राद्ध करने वालों को दक्षिण मुखी होकर हाथ में तिल, त्रिकुश और जल लेकर यथाविधि संकल्प कर पंचबलि दानपूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिये ।गो-बलि, श्वान-बलि ,काक बलि, देवादि बलि, और पिपीलाकादि बलि के रूप में पंच बलि दें।पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक तिल, कुश तथा जल आदि पदार्थों के त्याग एवं दान कर्मों को श्राद्ध कहा जाता है। पितरों के प्रति श्रद्धा ही श्राद्ध की भावना व आधार है। श्राद्ध (shraddha) कर्म एवं विधि को निम्न प्रकार से करना चाहिए ।
1.सर्वप्रथम ब्राह्मण का पैर धोकर सत्कार करें
2.साफ आसन ग्रहण करवाएं ।
3.ब्राह्मण को उत्तराभिमुख बिठाकर उन्हें भोजन कराएं ।
4. तिल मिश्रित जल से देवताओं को अर्ध्य दें तथा धूप, दीप, फूल अर्पण करें।
इसके पश्चात पितृ-पक्ष के लिए यज्ञोपवीत या वस्त्र या गमछा को दाएँ कंधे पर रखकर निवेदन करें तथा ब्राह्मण की अनुमति से कुशाओं का दान करके मंत्रोच्चारण द्वारा पितरों का आह्वान करें व अर्ध्य दें। ब्राह्मणों की आज्ञा से शाक तथा अन्न द्वारा मंत्रों से अग्नि में आहुति दें। “अग्नये काव्यवाहनाय स्वाहा” “सोमाय पितृमते स्वाहा” और आहुतियों से शेष अन्न को ब्राह्मणों के पात्रों में परोस दें। तत्पश्चात ब्राह्मणों को भोजन परोसें श्राद्ध-भूमि पर तिल छिड़कें तथा अपने ब्राह्मण रुपी पितरों का चिंतन करें।