मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चलाया भौंरा और बच्चों को सुनाई कहानी

‘नींव और भाषा पिटारा’ कार्यक्रम में शामिल हुए भूपेश बघेल

रायपुर (अविरल समाचार). मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (bhupesh baghel) ने आज दुर्ग जिले के भिलाई शहर के वैशाली नगर उच्चतर माध्यमिक शाला में स्कूल शिक्षा विभाग और लैंग्वेज लर्निंग फाउण्डेशन द्वारा आयोजित ‘नींव और भाषा पिटारा’ कार्यक्रम में प्रायमरी स्कूल के क्लास 1 और 2 के बच्चों को कहानी सुनाई। कहानी भौंरे की थी, उन्होंने भौंरा चलाकर बच्चों को दिखाया और बच्चों को भी भौंरा चलाने कहा। इनमें से कुछ बच्चों की मातृभाषा हिंदी थी और कुछ बच्चों की छत्तीसगढ़ी। जब मुख्यमंत्री ने भौंरे को दिखाते हुए कहा कि ये भौंरा है तो मातृभाषा हिंदी वाले बच्चों ने कहा, नहीं यह लट्टू है। मुख्यमंत्री ने इन बच्चों को पुनः कहा कि यह तो भौंरा है तो वे इसे लट्टू कहने पर अड़े रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन बच्चों ने अपनी मातृभाषा में इसे सीखा है और इसी से इतना आत्मविश्वास इन्हें अर्जित हुआ है कि इतने सारे लोगों के बीच भी इतने छोटे से बच्चे अपनी बात पूरे आत्मविश्वास से रख रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने बच्चों को फिर ‘चलव भौंरा चलाबो’ कहानी सुनाई। कहानी छत्तीसगढ़ी में थी। कहानी में एक जगह इतवार शब्द आया, मुख्यमंत्री ने बच्चों से इसके मायने पूछे। बच्चों ने कहा- संडे। मुख्यमंत्री ने कहा- आप लोग तो बहुत होशियार हैं। फिर उन्होंने भोला और केशव की कहानी सुनाई जिनके पास दो भौंरे थे और इसे वे खेल रहे थे। अचानक हेमा के आने से यह प्रश्न हुआ कि दो भौंरे तीन लोग कैसे खेलेंगे। उन्होंने बच्चों से यह पूछा। फिर बताया कि भोला और केशव में से जिसका भी भौंरा पहले रूकेगा, उसका भौंरा हेमा खेलेगी और फिर इसी तरह से यह खेल बढ़ता जाएगा। मुख्यमंत्री ने एक बच्चे को जब भौंरा चलाने कहा तो उसने मुख्यमंत्री के पास आकर कहा कि आप रस्सी बांध दो, मैं भौंरा चलाऊंगा। फिर मुख्यमंत्री ने रस्सी बांधी और इस बच्चे ने भौंरा चलाया।
इस दौरान शिक्षकों ने बताया कि नींव योजना से बच्चों की पढ़ाई में जबरदस्त सुधार आया है। उनकी उपस्थिति बढ़ गई है क्योंकि पढ़ने के दौरान उनका काफी मनोरंजन हो रहा है। इससे पहले वे शिक्षक से केवल सुनते थे, अब इस प्रक्रिया में स्वयं हिस्सा ले रहे हैं। वहां उपस्थित शिक्षक अशिया इकबाल ने बताया कि नींव के लिए सामग्री हमारे शिक्षा विभाग के शिक्षकों ने ही तैयार की है। इसमें कहानी छत्तीसगढ़ी और हिंदी दोनों भाषाओं में हैं। कहानियां ऐसे तैयार की गई हैं जिससे बच्चों में जबरदस्त जिज्ञासा उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए एक गिलहरी की कहानी छत्तीसगढ़ी भाषा में एक ठन आमा के रूख राहय, ओमा एक ठन चिटरा रहाय। यहां से बच्चों के लिए दिलचस्पी बनती है और फिर शिक्षक बच्चों से ही आगे की कहानी के बारे में पूछते हैं। उल्लेखनीय है कि नींव कार्यक्रम राजीव गांधी शिक्षा मिशन एवं एनसीईआरटी द्वारा एलएलएफ के साथ मिलकर दुर्ग जिले के 200 स्कूलों में आरंभ किया गया है। प्रथम वर्ष के अंत तक इससे चार हजार बच्चे लाभान्वित होंगे। 2021 तक यह कार्यक्रम दुर्ग के सभी स्कूलों में संचालित होगा। जिससे लगभग 20 हजार विद्यार्थियों को लाभ पहुंचेगा एवं बच्चे स्वतंत्र एवं अर्थपूर्ण अध्ययन कर पाएंगे।

अटल टिंकरिंग लैब भूपेश बघेल ने का किया अवलोकन

मुख्यमंत्री ने अटल टिंकरिंग लैब का भी अवलोकन किया। यहां बच्चों ने विविध मॉडल बनाये थे। इसमें से एक मॉडल नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी के ऊपर भी था। इसे लक्ष्मी, सुधा और उनकी सहेलियों ने तैयार किया था। मुख्यमंत्री ने इनसे पूछा कि इस माडल पर काम करने का विचार कैसे आया। सुधा ने बताया कि आपने ही तो नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी, छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी का टैगलाइन दिया है तो इसीलिये हमने भी इन चिन्हारियों को मॉडल के रूप में बनाया। दुर्गा भारती ने साइल माइश्चर एवं ह्यूमिडिटी मीटर बनाया था। मुख्यमंत्री को उसने बताया कि पानी की एक-एक बूंद अमूल्य है। इसके माध्यम से किसान न्यूनतम पानी में अच्छी फसल ले सकेंगे। सबीना फिरदौर ने भी अपना मॉडल मुख्यमंत्री को दिखाया। सबीना ने बताया कि यह मिट्टी के पीएच को आसानी से नापता है। पीएच के मूल्यांकन से फसल के संबंध में निर्णय लेना आसान होता है।

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