धनतेरस 2019 : स्वर्ण कलश से बससेगा अमृत,दो दिन मना सकेंगे

25 अक्टूबर धनतेरस को अक्षय लक्ष्मी कारक योग

कैसे मिलेगा धनतेरस को उत्तम स्वास्थ्य और ऐश्वर्य

ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे

रायपुर (अविरल समाचार). धनतेरस (dhanteras) या धन त्रयोदशी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है| शास्त्रों में वर्णित है कि देवों और असुरों के मध्य हुए समुद्र मंथन की प्रक्रिया के मध्य इसी दिन धनवंतरी अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे|शास्त्रों में यह भी अभिव्यक्त है कि चुंकि धनवंतरी कलश लेकर प्रकट हुए थे अत: इस दिन पात्र का क्रय किया जाये तो पात्र की धारणीय क्षमता से तेरह गुना धन और ऐश्वर्य प्राप्त होने के योग बनते हैं| इस दिन चाँदी और पीतल के बर्तन खरीदने से मानसिक शांति मिलती है और शरीर भी पुष्ट होता है| लक्ष्मी जी की आराधना के ठीक दो दिन पहले धनवंतरी की आराधना का महत्व इसीलिये भी ज्यादा है क्यों कि धनवंतरी देवों के चिकित्सक और देवों के उत्तम स्वास्थ्य के निरिक्षक है। लक्ष्मी जी से ऐश्वर्य की प्राप्ति हेतु प्रार्थना करने से पूर्व यदि उत्तम स्वास्थ्य भी प्राप्त कर लिया जाये तो ऐश्वर्य का उपभोग भी किया जा सकेगा|

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25 अक्टूबर को अक्षय लक्ष्मी कारक योग

शुक्रवार 25 अक्टूबर को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष प्रात: काली द्वादशी तिथि है लेकिन सायंकाल प्रदोष काल की त्रयोदशी तिथि अथार्त धनतेरस (Dhanteras 2019) है| इस दिन प्रदोष कालीन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से यह दिन अत्यंत शुभ हो गया है| शास्त्रों में वर्णित है कि आचार्य धनवंतरी चाँदी क कलश लेकर प्रकट हुए थे| सूर्यास्त के समय याने सायं 5.29 बजे से लेकर अगले 2 घंटे 24 मिनट तक प्रदोष मुहुर्त में की गई प्रत्येक छोटी से छोटी या बडी से बडी खरीदी अक्षय लक्ष्मी का कारक बनेगी| प्रात:कालीन गोचर में सूर्य बुध और शुक्र का तुला लग्न में का एक साथ होना और बुधादित्य योग बनाना अत्यंत भाग्य वर्द्धक योग बना रहा है| इस से किसी भी छोटी से छोटी वस्तु का क्र्य करना लाभदायक होगा| 26 तारीख को भी दोपहर 3.46 बजे तक खरीददारी की जा सकती है|

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उत्तम स्वास्थ्य और ऐश्वर्य दोनो होंगे साथ

धनवंतरी को भगवान विष्णु का अंश अवतार भी बताया गया है। इसी लिये धनतेरस के दिन प्रात:काल धनवंतरी के पूजन के पूर्व यदि विष्णु सहस्रनाम का पठन या श्रवण किया जाये तो पूजन का पूर्ण फल मिलेगा। आम की लकडी के पाटे पर हल्दी से स्वास्तिक बनाये। स्वास्तिक के मध्य एक बडी पूजा सुपारी को गुलाब जल से स्वच्छ कर भगवान धनवंतरी के रूप में स्थापित कर पूजन करें। चान्दी के पात्र या किसी भी अन्य पात्र में चावल से बने खीर का भोग लगायें।तुलसी का पत्र अर्पित करें। कपूर की आरती कर इस मंत्र से रोग नाश हेतु प्रार्थना करें।

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं, अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।

गूढं निगूढं औषध्यरूपम् धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

एक नारियल पर कुंकुम से स्वास्तिक बनाकर उसी नारियल पर चावल और पुष्प रखकर रोगनाश और प्रगति के लिये इस मंत्र का यथाशक्ति जाप करें :

मंत्र :  ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।

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