नई दिल्ली (एजेंसी). केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश करेंगे। इस बिल के पारित होते ही छह दशक पुराना नागरिकता कानून-1955 बदल जाएगा और तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानस्तिान से आने वाले गैरमुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया बेहद सहज हो जाएगी। सरकार की योजना सोमवार को लोकसभा में यह बिल पारित कराने के बाद मंगलवार को राज्यसभा में भी इस पर मंजूरी की मुहर लगवा लेने की है।
एकतरफ जहां पूरा विपक्ष इस बिल का विरोध करने की तैयारी किए बैठा है, वहीं केंद्र की राजग सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा को अपने कई साथी दलों को भी इस बिल पर समर्थन के लिए साधने की चुनौती का सामना करना होगा। बिल के प्रावधानों पर मचे सियासी महाभारत के बीच भाजपा, कांग्रेस, टीएमसी सहित कई दलों ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है।
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक अत्याचार के चलते भारत में 31 दिसंबर, 2014 तक शरण लेने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सभी लोगों को अवैध घुसपैठिया नहीं माना जाएगा, बल्कि इन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। इन नागरिकों पर नागरिकता पाने के लिए भारत में रहने की बाध्यता अवधि को भी 11 साल के बजाय घटाकर 6 साल माना जाएगा।