नई दिल्ली (एजेंसी). भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन– इसरो (ISRO) ने आज 11 दिसंबर 2019 को दोपहर 3.25 बजे ताकतवर राडार इमेजिंग सैटेलाइट रीसैट-2बीआर1 (RISAT-2BR1) की सफल लॉन्चिंग कर दी है. लॉन्चिंग के बाद अब देश की सीमाओं पर नजर रखना आसान हो जाएगा. ये सैटेलाइट रात के अंधेरे और खराब मौसम में भी काम करेगा. यानी धरती पर कितना भी मौसम खराब हो. कितने भी बादल छाए हों, इसकी निगाहें उन घने बादलों को चीरकर सीमाओं की स्पष्ट तस्वीर ले पाएगी.
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इतना ही नहीं, इस लॉन्चिंग के साथ ही इसरो के नाम एक और रिकॉर्ड बन गया है. ये रिकॉर्ड है – 20 सालों में 33 देशों के 319 उपग्रह छोड़ने का. 1999 से लेकर अब तक इसरो ने कुल 310 विदेशी सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में स्थापित किए हैं. आज के 9 उपग्रहों को मिला दें तो ये संख्या 319 हो गई है. ये 319 सैटेलाइट्स 33 देशों के हैं.
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कॉमर्शियल लॉन्चिंग को लेकर इसरो की क्षमता में साल दर साल इजाफा हुआ है. सबसे पहला कॉमर्शियल लॉन्च 26 मई 1999 को पीएएसएलवी-सी2 से किया गया था. इस लॉन्चिंग में जर्मनी और दक्षिण कोरिया के एक-एक सैटेलाइट्स छोड़े गए थे. 90 के दशक में दो विदेशी उपग्रह लॉन्च किए गए. इसके बाद अगले एक दशक में यानी 2010 तक इसरो ने 20 विदेशी उपग्रह छोड़े. इसके बाद 2010 से अब तक 297 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए. यानी अभी इसरो की क्षमता इतनी हो गई है कि वह हर साल औसतन 16 विदेशी उपग्रह छोड़ सकता है.
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इसरो ने पिछले तीन साल (2016-18) में कॉमर्शियल लॉन्चिंग (विदेशी उपग्रहों समेत) से करीब 6289 करोड़ रुपए कमाए हैं. ये जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में जुलाई में दी थी.
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