नई दिल्ली (ABP). भारत में कोरोना वायरस (Covid-19 In India) के प्रकोप के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो मदद के नाम मिलने वाले राशन की मुहिम पर सवाल उठा रहा है. दावा किया जा रहा है कि जिन घरों को जरूरत मंद समझकर खाना बांटा जा रहा है, वहां पहले से मुर्गा बन रहा है. जानें वायरल हो रहे वीडियो की सच्चाई क्या है.
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डेढ़ मिनट के वायरल वीडियो में एक शख्स बताता है, ‘’ये गांधी आश्रम की जगह है, जहां झुग्गी झोपड़ी में हम इन लोगों के लिए कई दिनों से राशन बांट रहे हैं. आज हम इस चौराहे पर आए. हमने इनसे कहा हम तुम्हारे लिए खाना लेकर आए हैं. इन लोगों ने खाना लेने के लिए लाइन लगा ली. लेकिन जब हमने अंदर घुसकर देखा तो इन लोगों ने मुर्गे की पूरी परातें और कढ़ाई चढ़ा रखी हैं.’’ वीडियो को उत्तर प्रदेश में मेरठ के गांधी आश्रम चौक का बताया जा रहा है. सवाल ये है कि क्या वाकई झुग्गियों में जरूरत का राशन लेकर जमा किया जा रहा था? क्या वाकई झोपड़े में खाने की खान मौजूद थी? या फिर जो दिख रहा है उसके पीछे कहानी का कोई और सिरा भी मौजूद है?
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एबीपी न्यूज़ इस वीडियो की पड़ताल करने के लिए मेरठ पहुंचा और वहां वायरल वीडियो में दिख रहे नवनीत नाम के शख्स से मिला. इसके बाद एबीपी न्यूज़ उन झुग्गियों के पास पहुंचा. झुग्गी में रहने वाले शौवा ने बताया कि जिस दिन उनकी झुग्गी के बाहर खाना बंटने के लिए आया, उस वक्त राशन पहले से मौजूद था और उन्होंने खाने में नॉनवेज बनाया हुआ था. लेकिन उस दिन के बाद से इस झुग्गी के पास कोई खाना बांटने नहीं आया है. झुग्गी में रहने वाले शौवा का कहना है कि अब उनको खाने का मोहताज होना पड़ रहा है, लेकिन बड़ी बात यहां ये पता चली कि जिस व्यक्ति ने वीडियो बनाया था वो ही उनको कभी-कभी कुछ खाने के लिए दे जाते हैं. लेकिन खाना अगर कभी-कभी मिले तो पेट नहीं भरता.
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