चुनावी असर, बजट सत्र में मोदी सरकार करेगी बड़े ऐलान

नई दिल्ली (एजेंसी). मोदी सरकार के सवर्ण आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों में पास होने के बाद 31 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र में आम जनता को बड़े तोहफे दे सकती है। इन तोहफों को आम चुनाव से पहले सरकार की तरफ से मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है। केंद्र सरकार की अब सीधे नजर मई 2019 में होने वाले आम चुनावों पर है। इसलिए वो बजट में इस योजना की घोषणा करना चाहती है, ताकि एनडीए एक बार फिर से भारी बहुमत से जीत सकें। मोदी सरकार इस स्कीम पर दो साल से काम कर रही है।

बेरोजगारों को वेतन

केंद्र सरकार किसानों को जल्द ही दो बड़े तोहफे देने जा रही है। इसकी घोषणा अगले हफ्ते तक और बजट से पहले हो सकती है। जिसमे बेरोजगारों को भी हर महीने उनके खाते में एक निश्चित राशि भी ट्रांसफर की जाएगी, जिससे वो अपना जीवन यापन अच्छी तरह से कर सकेंगे। सरकार इसकी घोषणा यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) के तहत करेगी। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा था कि अगले सालों में 1 और 2 राज्यों में यूनिवर्सल बेसिक इनकम की शुरुआत हो सकती है। सुब्रमण्यन ने 2016-17 के आर्थिक सर्वे में यह सिफारिश की थी।

किसानों को मिलेगी हर महीने तनख्वाह

इसके तहत जहां किसानों को मासिक तनख्वाह मिलेगी, वहीं खेती के लिए ब्याज मुक्त लोन भी मिलेगा। प्रत्येक सीजन में किसानों को प्रति एकड़ चार हजार रुपये दिए जाएंगे। यह पैसा सीधे किसानों के खाते में डाला जाएगा। हालांकि यह पैसा किसानों को कुछ शर्तों के साथ मिलेगा। इस पैसे की मदद से किसान खेती के दौरान होने वाले खर्च को आसानी से पूरा कर सकेंगे। खेती के दौरान किसानों का मुख्य खर्च बीज, खाद, सिंचाई और फसल की पैदावार होने पर मंडी तक की जाने वाली ढुलाई पर होता है।

मिलेगा ब्याज मुक्त लोन

केंद्र सरकार इसके बाद ब्याज मुक्त लोन भी देने का एलान भी कर सकती है, जिससे किसानों पर ज्यादा आर्थिक बोझ न पड़े। किसानों को एक लाख रुपये का ब्याज मुक्त लोन भी मिलेगा। ब्याज मुक्त लोन देने से सरकार पर करीब 2.30 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

इनकम टैक्स में छूट

सरकार इनकम टैक्स को लेकर बड़ा फैसला ले सकती है। इसके तहत आयकर छूट की सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये तक किया जा सकता है। बुधवार को ही उद्योग संगठन सीआईआई ने आयकर छूट सीमा को पांच लाख रुपये करने की मांग की थी।

जीएसटी में हो सकते हैं बदलाव

निर्माणाधीन मकानों पर अभी लगने वाली 12 फीसदी जीएसटी में से आधे से ज्यादा हिस्सा इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रूप में बिल्डर को वापस कर दिया जाता है। ऐसे में वास्तविक जीएसटी सिर्फ 5-6 फीसदी ही होता है, जबकि बिल्डर खरीदारों को आईटीसी का लाभ नहीं देते हैं। लिहाजा परिषद 80 फीसदी इनपुट पंजीकृत डीलर से खरीदने वाले बिल्डर पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने पर विचार कर रही है।

होम लोन होगा सस्ता

पहली अप्रैल से आम जनता को बड़ा तोहफा देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी प्रकार के लोन की ब्याज दर को लेकर के एक बड़ा फैसला किया है। इस नियम के तहत होम, पर्सनल और सूक्ष्म व लघु उद्योगों के लिए ब्याज दर के लिए बैंकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। 1 अप्रैल से आरबीआई जो भी रेपो रेट के हिसाब से ब्याज दर तय करेगा, व्यक्तियों को उसी के हिसाब से ईएमआई देनी होगी। आरबीआई की दरें घटते ही बैंक आपकी ईएमआई घटा देंगे। इससे आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को मिलने की राह में पारदर्शिता आएगी।

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