नई दिल्ली(एजेंसी): कोरोना का वायरस. जिसने न देश देखा, न धर्म और न ही जाति. आदमी हो या औरत, बच्चे हों या बूढ़े, गोरे हो या काले, नाटे हों या लंबे, इस वायरस ने किसी को भी नहीं छोड़ा है. दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क से लेकर छोटे से छोटा देश भी इस बीमारी से लड़ने में नाकाम ही साबित हो रहा है. लेकिन दुनिया में महाशक्ति का दर्जा रखने वाले अमेरिका से जो आंकड़े आ रहे हैं, वो थोड़े चौंकाते हैं.
फिलहाल अमेरिका में कोरोना से पीड़ित लोगों की संख्या पांच लाख के पार है. 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. इस बीच अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि अमेरिका में जो मौतें हो रही हैं, उनमें अश्वेत अमेरिकियों की मौतों का आंकड़ा श्वेत अमेरिकियों की मौतों की तुलना में कई गुना ज्यादा है. अखबार का दावा है कि जिन राज्यों में श्वेत अमेरिकी लोगों की संख्या ज्यादा है, वहां श्वेतों के मुकाबले अश्वेतों में कोरोना संक्रमण तीन गुना ज्यादा है और उनकी मौत का आंकड़ा छह गुना ज्यादा है.
अखबार में 7 अप्रैल को छपी रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य विस्कॉन्सिन का सबसे बड़ा शहर है मिलवाउकी काउंटी. यहां पर अफ्रीकी अमेरिकी या यूं कहें कि अश्वेत अमेरिकी लोगों की संख्या है 26 फीसदी. यहां पर कोरोना से 77 लोगों की मौत हुई है. लेकिन इन मरने वालों में 70 फीसदी लोग अश्वेत हैं. अमेरिका के लुसियाना का भी यही हाल है. कोरोना की वजह से लुसियाना में 755 लोगों की मौत हुई है. इन मरने वालों में भी 70 फीसदी लोग अफ्रीकन अमेरिकी हैं. जबकि लुसियाना में इनकी आबादी महज 32 फीसदी है.
मिशिगन में अश्वेत लोगों की आबादी महज 14 फीसदी है. कोरोना की वजह से यहां पर अब तक कुल 845 लोगों की मौत हुई है. इन मरने वालों में 40 फीसदी लोग अश्वेत ही हैं. हालांकि अमेरिकी सरकार की ओर से श्वेत और अश्वेत का कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है, लेकिन एक चौथाई मौतें डेट्रोइट में हुई हैं, जहां अफ्रीकन अमेरिकी लोगों की कुल आबादी करीब 79 फीसदी है. कुछ ऐसी ही हालत शिकागो की भी है. शिकागो में कुल 118 लोगों की मौत दर्ज हुई है, जिनमें से 70 फीसदी लोग ब्लैक थे. जबकि शिकागो में अश्वेतों की आबादी महज 30 फीसदी ही है.
जॉन हॉपकिन यूनिवर्सिटी और अमेरिकन कम्युनिटी सर्वे का आंकड़ा कहता है कि अमेरिका में हर एक लाख अश्वेत आबादी में 137.5 लोग कोरोना से संक्रमित हैं और 6.3 लोग मर गए हैं. वहीं श्वेत आबादी में हर एक लाख में महज 39.8 लोग ही कोरोना संक्रमित हैं और मरने वालों का आंकड़ा महज 1.1 है. खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी इस आंकड़े को मानते हैं, लेकिन उनके पास इस आंकड़े की कोई ठोस वजह नहीं है. हालांकि लुसियाना के गवर्नर जॉन बेल एडवर्ड्स के पास इसका तर्क है. उनका मानना है कि अश्वेत अमेरिकियों यानि कि अफ्रीकी अमेरिकियों में डायबिटीज, दिल की बीमारी और फेफड़े की बीमारी श्वेत अमेरिकियों के मुकाबले ज्यादा है और ये एक तथ्य है. लिहाजा कोरोना का संक्रमण भी श्वेतों के मुकाबले अश्वेतों पर ज्यादा हो रहा है.
अमेरिकी सरकार को भी इस बारे में पता है, लेकिन वो भी फिलहाल कुछ भी कह पाने या कर पाने में नाकाम साबित हो रही है. और इन आंकड़ों को देखकर तो यही कहा जा सकता है कि कोरोना जैसी महामारी अमेरिका में श्वेतों और अश्वेतों के बीच भेदभाव कर रही है.