कोरोना वैक्सीन भारत में कब तक बन सकती हैं ?
नई दिल्ली (एजेंसी). कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine)दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब तक करीब एक करोड़ 76 लाख लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि इस वायरस के कारण अब तक छह लाख 80 हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसका वैक्सीन बनाने को लेकर काम लगातार जारी है। इसको लेकर दुनियाभर में करीब 23 परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जिसमें से कुछ के ट्रायल अंतिम चरण में हैं यानी कभी भी खुशखबरी मिल सकती है। इस बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर रूस से एक अच्छी खबर आ रही है। यहां के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को का कहना है कि सरकार अक्तूबर में नागरिकों को वैक्सीन देने की योजना बना रही है और इसके लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाने की तैयारी हो रही है। आइए जानते हैं कि इस अभियान के तहत सबसे पहले किस तरह के लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जाएगी।
कोरोना वैक्सीन के बारे में रूसी मीडिया के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने कहा है कि सबसे पहले डॉक्टरों और शिक्षकों को कोरोना की वैक्सीन दी जाएगी। उसके बाद ही अन्य नागरिकों तक इसे पहुंचाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस की इस संभावित वैक्सीन को इस महीने नियामकों की मंजूरी मिल जाएगी।
हालांकि कई विशेषज्ञ रूस की इस वैक्सीन को लेकर चिंता भी जाहिर कर रहे हैं। उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि लोगों को वैक्सीन की खुराक देने से पहले जरूरी सभी टेस्ट किए जा रहे हैं या नहीं। अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फाउची ने भी इसी तरह की चिंता जताई है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस साल के अंत तक अमेरिका के पास कोरोना की सुरक्षित और कारगर वैक्सीन होगी।
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रूस की इस वैक्सीन को मॉस्को के गमलेया इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है। पिछले महीने भी इसको लेकर एक रिपोर्ट आई थी कि रूस जल्द ही वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दे सकता है। वैज्ञानिक 10 अगस्त या उससे पहले ही वैक्सीन की मंजूरी के लिए तेजी से काम कर रहे हैं।पिछले महीने की रिपोर्ट में बताया गया था कि सबसे पहले यह वैक्सीन फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स यानी सीधे तौर पर कोरोना संक्रमित लोगों की सेवा करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों को दी जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की इस वैक्सीन का अभी दूसरा चरण चल रहा है, लेकिन वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह चरण तीन अगस्त तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद तीसरे चरण के ट्रायल की तैयारी होगी।
रूसी वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने यह वैक्सीन इस वजह से जल्दी तैयार कर ली, क्योंकि यह अन्य बीमारियों से लड़ने के लिए पहले से ही निर्मित एक वैक्सीन का संशोधित संस्करण है। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि वैक्सीन बनाने की इस परियोजना के निदेशक अलेक्जेंडर गिन्सबर्ग ने खुद पर भी इस वैक्सीन का टेस्ट किया है।
भारत की कोरोना वैक्सीन कब तक आएगी?
भारत में वैक्सीन के दो प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इसमें आईसीएमआर और भारत बायोटेक द्वारा तैयार वैक्सीन भी शामिल है, जिसका नाम ‘कोवैक्सीन’ (Covaxin) है। पिछले महीने ही दिल्ली एम्स, पटना एम्स और रोहतक पीजीआई समेत अन्य संस्थानों में इसका मानव परीक्षण शुरू किया गया है। यह कब तक बाजार में उपलब्ध होगी, इसको लेकर अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।