कोरोना वायरस की चपेट में राजस्थान, राज्य में 75% नीचे आया क्राइम ग्राफ

जयपुर: पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना के खौफ के साये में जी रही है. आम इंसान इसकी चपेट में आने से बचे रहने के लिए पूरे उपाय कर रहा है. ये डर अपराध की दुनिया में भी नज़र आ रहा है इसलिए जब से कोरोना को लेकर लॉकडाउन किया गया है अपराध का ग्राफ भी काफी नीचे गिर गया है. राजस्थान के पिछले कुछ दिनों के अपराध के आंकड़े तो ऐसी ही तस्वीर पेश कर रहे हैं. लॉक डाऊन के दौरान राजस्थान में पहले की तुलना में करीब 75 फीसदी अपराध कम हुए हैं.

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राजस्थान में इस सप्ताह की शुरुआत यानि 22 मार्च से लेकर आज तक साढ़े आठ सौ पुलिस स्टेशन में कुल सत्रह सौ पचास मामले ही दर्ज हुए हैं जबकि इस महीने के पहले सप्ताह में इतने ही पुलिस स्टेशन में कुल छह हज़ार से ज़्यादा मामले दर्ज किये गए थे. राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक(अपराध) बी एल सोनी के मुताबिक अपराधों का ग्राफ नीचे गिरा है और इसकी मुख्य वजह कोरोना का प्रकोप है. जो सत्रह सौ पचास मामले भी दर्ज हुए हैं वो किसी गंभीर अपराध के नहीं ज़्यादातर सामान्य अपराध के हैं.

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सबसे ख़ास बात जो कोरोना की वजह से किये गए लॉक डाउन में नज़र आयी वो ये कि वाहन सड़कों पर लाने की पाबंदी की वजह से राज्य में इस सप्ताह एक भी सड़क हादसा नहीं हुआ. राजधानी जयपुर समेत प्रदेश के किसी भी जिले में इस सप्ताह सड़क हादसे की वजह से मौत की कोई खबर नहीं आयी. लूट और डकैती के मामले तो मानों बंद ही हो गए हों. इस सप्ताह क़त्ल की कुल तीन घटनायें सामने आयी. बलात्कार का एक भी मामला सामने नहीं आया. चैन लुटे जाने के मामलों की बात की जाए तो आम दिनों में जयपुर में इस तरह की आधा दर्जन घटनाएं दर्ज होती हैं लेकिन लॉक डाउन के इस सप्ताह में न तो लोग घरों से निकल रहे है और ना ही चेन लुटेरों को कोई मौका ही मिल रहा है.

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ऐसे में राजस्थान पुलिस कम से कम अपराध और अपराधियों के मामले में तो चैन की बंसी बजा रही है. वैसे अपराधों की कमी की एक बड़ी वजह ये भी है कि इन दिनों राज्य के ज़्यादातर पुलिस थानों का स्टाफ नाकाबंदी के लिए सड़कों पर ही हैं इसलिए अपराधियों आवाजाही भी बिल्कुल थम गई है. राजस्थान से सटे हरियाणा, उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश और गुजरात की सीमायें सील हैं इसलिए अपराधी भी कोरोना के साथ साथ पुलिस के खौफ की वजह से बाहर नहीं आ रहे.

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