कभी मुंबई की लोकल ट्रेन में सफर किया करते थे आज हजारों मजदूरों को घर पहुंचाने वाले सोनू सूद

नई दिल्ली(एजेंसी): वो कहतें हैं ना जिसपर गुजरी हो, वही समझ सकता है. ऐसा ही कुछ सोनू सूद भी कर रहे हैं. प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए सोनू सूद ने दिन-रात एक कर दिया है. वो और उनकी टीम लगातार इस काम में लगी हुई है कि कैसे मुंबई में फंसे एक-एक शख्स को उसके घर भेज दिया जाए. मजदूरों को घर भेजने के साथ ही सोनू उनके लिए रास्ते के खाने-पीने तक का इंतजाम कर रहे हैं. पर एक समय वो भी था जब सोनू मुंबई काम की तलाश में आए थे.

उस वक्त सोनी लोकल ट्रेन में सफर किया करते थे और जिसका महीने का पास 420 रुपए का आता था. सोनू ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर उस रेलवे पास की तस्वीरें भी शेयर की थी. उन्होंने उसके साथ एक कैप्शन भी लिखा था, कि ये उस समय की बात है जब मैंने पहली बार एक अभिनेता के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी. समय कितना जल्दी बीत जाता है.

उस वक्त सोनू मुंबई में एक फ्लैट में 5-6 लोगों के साथ रहते थे. मायानगरी में काम मिलना इतना आसाना तो था नहीं लिहाजा मुंबई ने भी उनकी खूब परीक्षा ली. लगातार काम की तलाश करते रहने के बाद उन्हें एक साउथ इंडिन फिल्म में काम मिल गया. धीरे ही सही लेकिन उनकी गाड़ी चल पड़ी थी.

साउथ इंडियन फिल्म में भी काम मिलने के पीछे एक मजेदार किस्सा है. दरअसल काम की तलाश में सोनू अपना पोर्टफोलियो जगह-जगह भेजते रहते थे. पर इस बार जहां उनका पोर्टफोलियो पहुंच गया था वहां हीरो नहीं बल्कि हीरोइन की तलाश हो रही थी. खैर, किस्मत ने पलटी मारी और काफी बार रिजेक्ट होने के बाद उन्हें एक जगह सफलता मिली. सोनू को एक तमिल फिल्म के लिए चुन लिया गया था.

सोनू ने तमिल फिल्म की उसके बाद तेलुगू फिल्म की, फिर बॉलीवुड ने भी उनके लिए अपने दरवाजे खोल दिए. सोनू की पहली हिंदी फिल्म ‘शहीद-ए-आजम भगत सिंह’ थी. इस फिल्म में उन्होंने भगत सिंह का किरदार निभाया और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा.

सलमान खान की फिल्म दबंग में सोनू सूद का कैरेक्टर छेदी सिंह तो आपको याद ही होगा. बता दें कि सोनू ने इस किरदार के लिए मना कर दिया था. पर थोड़े बदलाव के बाद वो ये रोल करने को तैयार हो गए. फिल्म की रीलीज के बाद उनका कैरेक्टर छेदी सिंह सबके जेहन में बैठ गया.

बता दें कि सोनू सूद पंजाब के मोगा के रहने वाले हैं. सोनू का परिवार वहीं रहता था. मोगा में उनके पापा की कपड़े की दुकान थी जिसका नाम बॉम्बे क्लॉथ हाउस था. सोनू की मम्मी प्रोफेसर थीं. सोनू के घर वाले चाहते थे कि वो इंजीनियरिंग करें पर सोनू को तो एक्टर बनना था. उन्होंने माता-पिता की बात तो मानी ही पर अपने सपनों का भी पीछा नहीं छोड़ा. Electronic engineer सोनू सूद आज एक कामयाब एक्टर हैं.

बात करें इन दिनों सोनू के काम की तो इस समय वो प्रवासी मजदूरों के लिए मसीहा बन गए हैं. ऐसे वक्त में जब दूर-दूर तक कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही. सोनू उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं. सोनू ने एक हेल्पलाइन नंबर तक जारी कर दिया है. जो भी उन्हें मदद के लिए मैसेज कर रहा है या ट्वीट कर रहा है सोनू उसका जवाब दे रहे हैं और उनकी हर संभव मदद कर रहे हैं. बसों के इंतजाम से लेकर खाने-पीने व्यवस्था तक सबका जिम्मा सोनू सूद और उनकी टीम ने ले लिया है.

इससे पहले सोनू जुहू स्थित अपना छह मंजिला होटल शिव सागर को डॉक्टरों, नर्सों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को सेवा के लिए दे चुके हैं.

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