नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत के लोकसभा चुनाव के नतीजों में जितनी ज्यादा दिलचस्पी पाकिस्तान की है, शायद ही किसी पड़ोसी देश की होगी। भारत की तरह पाकिस्तान में भी सबकी निगाहें आने वाले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर टिकी हुई हैं। पाकिस्तानी मीडिया में सबसे ज्यादा उत्सुकता सत्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वापसी के अनुमान को लेकर है।
पाकिस्तान के अखबार डॉन के एक संपादकीय लेख में कहा गया है कि अगर एग्जिट पोल पर यकीन करें तो नरेंद्र मोदी पांच साल के दूसरे कार्यकाल की तरफ आगे बढ़ रहे हैं और वह हिंदू राष्ट्रवाद और आक्रामक राष्ट्रीय सुरक्षा के बलबूते पूर्ण बहुमत ही हासिल कर सकते हैं।
संपादकीय लेख में कहा गया है, “मोदी 2.0 में पाकिस्तान के साथ तनाव कम होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। मोदी की सत्ता में वापसी उनकी पाकिस्तान के प्रति बदले वाली नीति की वापसी होगी। प्रधानमंत्री इमरान खान ने मोदी के नेतृत्व में दक्षिणपंथी सरकार में पाकिस्तान के साथ संबंध सुधरने की उम्मीद जताई थी जिसे लेकर विश्लेषक बहुत आश्वस्त नहीं हैं। बड़ा सवाल उठता है कि क्या मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में अपनी कथित ‘आक्रामक बचाव’ की नीति बदलेंगे या नहीं?”
कश्मीर मुद्दे को लेकर भी पाकिस्तानी मीडिया में खलबली मची हुई है। स्थानीय अखबारों में कहा गया है कि बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का वादा किया है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, ऐसा कोई संकेत नहीं है कि मोदी कश्मीर के मुद्दे पर अपनी रणनीति बदलेंगे। इससे कश्मीर में हिंसा की घटनाएं बढ़ सकती हैं जिसका सीधा असर नई दिल्ली और इस्लामाबाद के रिश्तों पर पड़ेगा।
पाकिस्तान के एक अन्य अखबार ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित जीत की रिपोर्ट्स के बाद से ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय और उसके तमाम अधिकारियों ने आने वाले वक्त के लिए रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। अखबार ने लिखा है कि मोदी और बीजेपी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पाकिस्तान विरोधी राह पर चलने का वादा किया है।